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________________ २६० संख्या १४ दीक्षातप | दो उपवास -- س س ---- to س नित्यभक्त س له Mom2000001 6m xx com auramomorror سه سه سد لله س ------------------------ सिंहपुर तीर्थङ्कर पट्ट परिचय | १५ दीक्षातिथि १६ दीक्षापरिवार | १७ दीक्षा नगरी | १८ छमस्थकाल | १६ दीक्षावस्त्र किस अवस्थामें | चैत्रवदी ८ ४००० अयोध्या १००० वर्षे अवस्था ३ माघसुदीह | १००० १२ ॥ मार्गशीर्पसुदी १५ ॥ सावत्थी माघसुदी १२ ।.. अयोध्या वैशाखसुदी कोशलपुर कर्तिकवदी १३ कौशाम्बी ६ महीने ज्येष्ठसुदी १३ बनारस पौषवदी १३ चन्द्रपुर मार्गशीर्पवदी ६ काकन्दी माघवदी १२ भदिलपुर फागुनवदी १३ फागुनसुदी १४ ६०० चम्पापुर माघसुदी४ । १००० कम्पिलपुर वैशाखवदी १४ , अयोध्या माघसुदी १३ | " रत्नपुर । २ , ज्येष्ठवदी १४ ।" हस्तिनापुर वैशाखवदी ५ ।" गजपुर मार्गशीपसुदी ११ ॥ नागपुर मार्गशीर्षसुदी ११ ३०० मिथिला | अहोरात्री फागुनसुदी १२ । १००० राजगृह । ११ महीने आपाढ़सुदीह मिथिला श्रावणसुदी ६ द्वारिका ५४ दिन पौषसुदी ११ ३०० बनारस ८४ दिन मार्गशीर्पवदी१० एकाकी कुण्डलपुर | १२वर्ष १ पक्ष । जैन-रत्नसार س س س س س ---- سدر तीन उपवास दो उपवास ہ س س " सदी " " کہ یہ तीन उपवास दो उपवास عمل
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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