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________________ ॐ ॐkamste जैन-नार शुद्धि, शिखाबन्धन, मैनफल, मरोडफली, मण्डलजी के तथा अपने हाथ में मोली बांधना चाहिये । केशर, चन्दन, कुंकुम ( रोली ) मण्डलजी में बन्धी हुई मोली में लगा दे । देववन्दन दशदिक्पालों तथा नवग्रहों की पूजन भी करनी चाहिये और भेंट आदि सब क्रियायें नवपद मण्डल पूजन के समान ही करनी चाहिये । प्रथम वलय प्रथम पद + पूजा 1 णमो णंतविण्णाण सदंसणाणं, सहाणंदिया सेसजंतू गयाणं । भवांभोज वित्थेयणे वारणाणं, णमो बोहियाणं वराणं जिणाणं । ॐ ह्रीं श्रीं अर्हद्भूयो नमः स्वाहा ॥१॥ सोने का बरक लगा हुआ गोला, ध्वजा चढ़ावे । २६६ ******* द्वितीय पद पूजा लोगग्गभागोपरि संठियाणं, बुद्धाण सिद्धाण मणिदियाणं । णिस्सेस कम्मक्खय कारगाणं, णमोसया मंगल धारगाणं । ॐ ह्रीं श्रीं सिद्धेभ्यो नमः स्वाहा ॥२॥ गोला, ध्वजा चढ़ावे । तृतीय पद पूजा अनंत संसुद्ध गुणायरस्स, दुक्खंधया रुग्गदिवायररस । अनंतजीवाण दयागिहस्स, णमो णमो संघचउव्विहस्स । ॐ ह्रीं श्रीं प्रवचनाय नमः स्वाहा ॥३॥ गोला, ध्वजा चढ़ावे । चतुर्थ पद पूजा कुवादिकेलि तरु सिंधुराणं, सूरीसराणं मुणिबंधुराणं । धीरतसंतज्जिय , मंदराणं, णमो सयामंगलमंदिराणं । ॐ ह्रीं श्रीं आचार्येभ्यो नमः स्वाहा ||४|| गोला, ध्वजा चढ़ावे । पञ्च पद पूजा सम्मत्त संयम पतित भविजन, अतिथिरकरता भला । अवगुण अदृषित गुणविभूषित, चन्दकिरण समोज्जला । अष्टाधिकादशसहससीलांगरथ + हरएक पद में नगदी अवश्य चढ़ानी चाहिये ।
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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