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________________ satokkuktadoktsaktatolestaticallstatekotatoescalesledesbeskolestatekakkakedantestsestarte प्रस्तस्त्र प्र प त्र ... न.प्र.प्र. विधि-विभाग २१५ कोडहि लाख पचास ए, सागर जिणशासन भास ए । रिसह जिनेसर बंस ए, उवझाय सरोवर हंस ए ॥३॥ इण अवसर तिहां राजियो ए, राजा जितशत्रु जग गाजियो ए । विजया तसु घर नार ए, बिहुँ रमयति पासासार ए॥४॥ कूख हि जिन अवतार ए तिण राय मनाव्यो हार ए । उयर वस्यो दसमास ए, पभु पूरी जननी आस ए ॥५॥ बिहुँ जण मन आणंदियो ए, सुत नाम अजिय जिण तो दियो ए । तिहुअण सयल उछोह ए, क्रम क्रम बाधे जगनाह ए ॥६॥ हंस धवल सारिस तणी ए, गति सुललित निजगति निरजणी ए । मलपति चालै गैल ए, जाणे नयण अमीरस रेल ए ॥७॥ अवर न समो संसार ए, वलि ज्ञान विवेक विचार ए । गुण देखी गज गह गह्यो ए, लंछन मिसि पग लागी रह्यो ए ॥८॥ जोवन वय जब आवियो। ए, तब वर रमणी परणावियो ए । पीय साधै सब काज ए, प्रभु पालै पुहवी राज ए ॥९॥ हिव हथणाउर ठाम ए, विश्वसेन नरेसर नाम ए। राणी अचिरा देव ए, मनहर सुखमाणे बेव ए ॥१०॥ चवदह सुपने परवरयो ए, अचिरा उयरें सुत अवतरयो ए । मानव देवबखाणियो ए, चक्कीसर जिनवर जाणियो ए ॥११॥ देस नयर हुय संत ए, तिण नाम दियो श्री शांत ए। जिन गुण कुण जाणे कही ए, त्रिहुं भुवणे तसु ओपमा नहीं ए। ॥१२॥ नयण सलूणो हिरण लो ए, वन सिंहे बीहै एकलो ए। नयण समाधि निरोध ए, इण नयणे नारि विरोध ए ॥१३॥ गीतही राग सुरंग ए, पिण पभणै लोक कुरंग ए । तो ऊलग्यो ससि संक ए, तिण पाम्यो नाम कलंक ए ॥१४॥ इण पर मृग अति खलभल्यो ए, भय भंजण सामि सांभल्यो ए। आणदियो मन आपणो ए, पाय सेवे मिस लंछन तणो ए ॥१५॥ लीलापति परणे घणी ए, नवनविय कुमर राया तणी ए । बल छल अरियण जोगवे ए, पीय राय भली पर भोगवे ए ॥१६॥ कुमर तणे मंडल समें ए, पंचास सहस वरसां गमे ए । तो तेजे दिणयर जिसो ए, ऊपन्नो चक्करयण तिसो ए॥१७॥ साधी भरह छ खंड ए. वरतावी आण अखंड ए। चवद रयण नव निहि सही ए, वसु सोल सहस जक्खें अही ए॥१८॥ सहस बहुत्तर । में पुर वरा ए, बत्तीस मौडबद्ध नरवरा ए। पायक गामै कोड़ ए, छिन्नवे नमें ปังไอไอดไขปังปังใจในไอดใสไรไม่ไดปัฐนไปใช้งใจไว้ใจใจได้ไว้ในคลได้ใจไดได้ใจคนใดใดไอไดไไดไไไไไไดไว้ในใจใครองใจ ในใจใคคปัจจดใจไปของคนไตใจไดพใดได้ใจได้ ในไle Aleled ledดไดไไไไไไไไไไไไง प्र.प्र.प्र.प्र.न.प्र.प्रत्र प्रा.प्र.प्र नत्र
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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