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________________ Rakshakikthase tastetotra-tobtaimtorolalita taitrakootb allakoka-kolesortableshoboorkstroscattatradasterstudies विधि-विभाग २०१ ArAnd maraaNamannama hKETARIAAREETAIEEETukatitatiktatatutikAMKshirsanskaskirtsARKEIRATRAINYAARtarkatarkarshmakar तत्पश्चात् ऊपर लिखे अनुसार नीचे कुङ्कम से स्वस्तिक लिखे इसके बाद श्री शारदाजी के सम्मुख जलधारा देकर श्री गुरुजी के द्वारा वासक्षेप * करावे तत्पश्चात् हाथमें अक्षत कुङ्कम ( रोली ), फूल लेकर नीचे लिखा हुआ श्लोक पढ़े। मङ्गलं भगवान् वीरो, मङ्गलं गौतम प्रभुः । मङ्गलं स्थूलभद्राद्याः, जैनधर्मोऽस्तु मङ्गलम् ॥१॥ इस श्लोक को पढ़कर मूर्ति के सम्मुख चढ़ा दे। बही पूजा उपरोक्त विधि से श्री शारदा पूजन समाप्त हो जानेपर जल, चन्दन, फूल, धूप, दीप, अक्षत इत्यादि अष्ट प्रकारीके द्वारा प्रत्येक बार नीचे लिखे मन्त्र को पढ़ता हुआ पूजन करे । ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै केवल ज्ञान स्वरूपायै लोकालोक प्रकाशकायै सरस्वत्यै जलं समर्पयामि । इस तरह उच्चारण करता हुआ हरएक सामग्री चढ़ावे इस प्रकार पूजन समाप्त हो जानेपर शारदा की निम्नलिखित आरती कपूर से करे। शारदा आरती जय जय आरती ज्ञान दिनन्दा, अनुभव पद पावन सुख कंदा ॥ जय० ॥१॥ तान जगत के भाव प्रकाशक, पूरण प्रभुता परम अमंदा ॥ जय० ॥२॥ । मतिश्रुति अवधि और मनपर्यव, केवल काटै सब दुखदंदा ॥ जय० ॥३॥ भवजल पार उतारण कारण, सेवो ध्यावो भवि जन वृन्दा ॥ जय० ॥४॥ । शिवपुर पंथ प्रगट ए सीधा, चौमुख भाखे श्री जिनचन्दा ॥ जय० ॥५॥ . * दिवाली पूजन के दिन रुपया चांदी सोने के शिक्के आदि पदार्थों का पूजन करना हैं और अन्य मतावलम्बियों से पूजा कराना जैनशास्त्रानुसार मिथ्यात्त्वकी पुष्टी करना है इसलिये सम्यक्त्वी श्रावकको दिवाली पूजनमें यह सव कार्य नहीं करने चाहिये। Polilaatials fookislikhaalisticksortialightdearthokishthaakhbiticlickileolapleakelicitatial-aliladhakiataliseksikot-lokelkatackefel-adislo.kolka riEKAKKAREEkakakakakakakutek-tattharanataka k talentilathkalai thakutartialatathokatariat e FIREEKRITatka stersttatoy. Monthles 26
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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