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________________ ยใจได้ในใจไม่ได้ให้ได้ใกได้ใจได้ 6 koli kanhsili kolhahadaileksibleinlabliskiestatish Malialistiane ได้ใจได้ ไตปัด 5 6 ได้ ได้ ไอ ได้ 6 ได้ไค ในไตได้ดใน ไe ใย ด้ AI-Ekakolkatailash JhyakalatakaYYYAKNamlinks. विधि-विभाग १६५ | करे । पीछे उपधान वाही खमासमण देकर दोनों हाथों में मुंहपत्ति ले, मुख को ढांप आधा अंग नमाकर तीन बार पांचों अध्ययनों की वाचना लेवे । हरएक महाश्रुत स्कन्धके समाप्त होनेपर मिच्छामि दुक्कडं कहे।। तप सम्पूर्ण क्रिया निक्षेप विधि जिस दिन तपस्या सम्पूर्ण हो उस अन्तिम दिन की संध्या को चउविहार करके अथवा प्रातःकाल इरियावही० कह, मुंहपत्ति की पडिलेहणा कर दोवन्दना देवे। पीछे 'इच्छाकारेण तुम्भेअम्हं अमुक उपधान तप णिक्खेवह' | कहे । गुरु के णिक्खेवामो कहने पर खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदि सह भगवन् अमुक तप निक्खेवणत्थं काउसग्गं करावेह कहे । गुरु के से 'करावेमो' कहने पर इच्छामि० अमुक तप 'णिक्खेवणत्थं करेमि काउसग्गं अणत्थः' कह एक णमोक्कार का काउसग्ग पार कर खमासमण देवे । पीछे अमुक उपधान तप णिक्खेवणत्थं चेइयाई वंदावेह कहे । गुरु के वंदावमो कहने पर चैत्यवन्दन करे । पडिपुण्णा विगय पारण विधि प्रभात समय गुरु के पास आकर अगर अलग प्रतिक्रमण किया हो। तो मुंहपत्ति की पडिलेहण कर दो बन्दना देवे । अगर गुरु के साथ प्रतिक्रमण किया हो तो भी दो वन्दना देवे । गुरु के 'पवेयणं पवेह कहने. पर 'पडपुण्णो विगय पारणयंकरेहति' कहे । फिर स्वइच्छानुसार पञ्चक्खाण करे। पीछे गुरु के सामने 'उपधान में अभक्ति या आशातना करी हो तो उसके लिये मिच्छामि दुक्कडं' कहे । क्षमा श्रमण विधि । उपधान वहन करने वाला व्यक्ति प्रभात समय में गुरु के पास * आकर गुरु की आज्ञा से 'इरियावही पडिक्कमे कह आगमन आलोचना करके पोसह सामायिक लेकर दो खमासमण पूर्वक पडिलेहण और अंग ॥ । पडिलेहण करे। पीछे मुंहपत्ति पडिलेहण करके पहले खमासमण से 'ओही । ४. पडिलेहण संदिस्सावेमि' । दुसरी खमासमण देकर 'ओही पडिलेहण' करूं। ใจ ได ได้ 6 ระดใช้ได้ 6 6 6 6 6 6 6 6 akatpak h ได้ ให้ไe ใคงใจ ไต ใจ ได 19 โค to 66 6th ไป5% ได้ ได้ ได้ t.ketstalkswarendra-THATARREARSwamanart 61 ไต ได้ไอโอไอ โอใจ ไอไร ใจได ไข ไy ใจปัด ใจไหม x
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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