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________________ भूमिका ५९ सुल्तान हुआ । शिहाबुद्दीन का उत्तराधिकार उसका भाई कुतुबुद्दीन ने प्राप्त किया। कुतुबुद्दीन के पश्चात् उसका पुत्र सिकन्दर बुतशिकन, तत्पश्चात् उसका पुत्र अलीशाह और अलीशाह के पश्चात् उसका भाई जैनुल आबदीन और जैनुल आबदीन के पश्चात उसका पुत्र हैदरशाह और हैदरशाह के पश्चात् उसका पुत्र हसन शाह और हसन शाह के पश्चात् उसका पुत्र मुहम्मद शाह सुल्तान बना था। जोनराज एवं धीवर ने इन्हीं सुल्तानों का वर्णन किया है। , उत्तराधिकार किसी सिद्धान्त पर शाहमीर वश में नहीं होता था जिसकी शक्ति होती थी, वह उत्तराधिकारी बन बैठता था। शाहगीर वंश के सुल्तान अल्लाउद्दीन, कुतुबुद्दीन, जैनुल आबदीन, अलीशाह, शमशुद्दीन (द्वितीय) हसन साहू ने अपने भाइयों से राज्य प्राप्त किया था। नय सुल्तान जमशेद सिकन्दर, अलीशाह, हैदरशाह, हसनशाह, एवं मुहम्मद इब्राहीम, नाजुक तथा हवीब शाह अपने पिता के उत्तराधिकारी हुए थे । शाहमीर वंश में जैनुल आबदीन के पश्चात् हैदरशाह, हसनशाह, मुहम्मद शाह ने क्रमशः पैतृक उत्तराधिकार प्राप्त किया था। जैनुल आबदीन ज्येष्ठ पुत्र के उत्तराधिकार की मान्यता स्वीकार करता है परन्तु राज्य हित की दृष्टि से ज्येष्ठ पुत्र के उत्तराधिकारी होने की सहमति नहीं देता । ( १ : ७ : १०३ ) अपने तीनों पुत्रों के अयोग्य होने पर उसने उत्तराधिकार का निश्चय न कर कहा'जीवन पर्यन्त मैं स्वयं राज्य किसी को न दूँगा। मेरे मरने पर जिसके पास बल हो, वह प्राप्त करे, यही मेरा मत है' (१:७:१०६) हसन शाह के उत्तराधिकार के समय उसका पितृव्य बहराम खाँ, राज्य लेना चाहता था । बहराम खाँ ने अपना अधिकार प्रकट करते हुए, सब सचिवों को बुलाकर बोला- 'पिता का क्रमागत राज्य मुझ पुत्र के लिये ही उचित है । ज्येष्ठ होने पर भी, राज्य प्राप्ति प्रयत्नशील, यह कनिष्ठ पितृव्य, कौन होता है । ( ३:४४) श्रीवर लिखता है - 'पितृव्य के आगमन से विह्वल राजा ( हसन शाह) सुय्यपुर पहुँचा । सब सचिवों को बुलाकर सभा मध्य कहा - 'पिता का क्रमागत राज्य मुझ पुत्र के लिये ही उचित है । ज्येष्ठ होने पर भी राजप्राप्ति प्रयत्नशील यह कनिष्ठ पितृव्य कौन होता है ? पृथ्वी वीर भोग्य वसुन्धरा होने पर, दोनों में यह कौन सी नीति है ? युद्ध द्वारा विजयी (काश्मीर) मण्डल का अधिकारी है ।' उत्तराधिकार ज्येष्ठ को ही मिलता है। इस प्रकार राज्य का उत्तराधिकारी हैदर शाह था न कि बहराम खाँ । बहराम खाँ यद्यपि आयु में अधिक था परन्तु यह कोई कारण उसके उत्तराधिकारी होने का नहीं था। क्योंकि उत्तराधिकार ज्येष्ठ पुत्र को पिता के पश्चात् जाता था। ( ३:४४, ४५) हसन अपने पिता का एक मात्र ज्येष्ठ पुत्र था। उत्तराधिकार बड़े भाई से छोटे भाई को न जाकर पुत्र को • मिलना चाहिए । यदि कोई शक्ति से भी अधिकार करना चाहे, तो उसका यह कार्य नियमतः उचित नहीं कहा जायगा । बहराम खाँ जब पराजित हो गया, तो उसे धर्म विजय कहा गया और उससे यही कहा गया- 'देव द्वारा दिया गया, इस क्रम प्राप्त राज्य का भोग कीजिये । भाग्य ने इस धर्म विजय को फलित किया है' (३:७५) हसन शाह मरने लगा, तो मुहम्मद शाह की उम्र केवल सात वर्ष की थी। हसन शाह ने स्वयं मृत्यु काल आसन्न देखकर आदेश दिया था कि राज्य का उत्तराधिकारी आदम खाँ का पुत्र बनाया जाय अथवा रानी की इच्छानुसार कार्य किया जाय। रानी ने अपने पिता सैयद को सलाह दी कि युवा बहराम खाँ के पुत्र को सुल्तान तथा ज्येष्ठ पुत्र मुहम्मद को युवराज पद पर अभिषिक्त किया जाय । हसन शाह की रानी ने भी बहराम के पुत्र को ही राजा बनाना चाहा । ( ३: ५६४ ) किन्तु सैयिदों ने तीन
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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