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________________ २:१६१-१६३ ] श्रीवरकृता २९७ अथ संततपानेन क्षीणदेहबलच्छविः । स वातशोणितव्याधिवाधितोऽभून्महीपतिः ॥ १६१ ॥ १६१. निरन्तर पान करने से राजा का देह, बल एवं छबि क्षीण हो गयी थी और वह वात' और शोणित रोग से ग्रसित हो गया था। प्राप्तो हस्सनखानः स पूर्णचन्द्र इवोदितः। तान् दुष्टमन्त्रिणः पद्मानिव संकुचितान् व्यधात् ।। १६२ ।। १६२. (उसी दिन) उदित पूर्णचन्द्र के समान हस्सन खाँन' आ गया। उसने उन दुष्ट मन्त्रियों को कमल के समान संकुचित कर दिया। किं नैतेन समानीतो बद्ध्वा पिरुजगख्खरः । इति रोषं सुते राजा पिशुनप्रेरितोऽग्रहीत् ।। १६३ ॥ १६३. 'पिरुज' गखखड़ को बान्ध कर, यह क्यों नही लाया,' इस प्रकार पिशुनों द्वारा प्रेरित होकर, राजपुत्र के प्रति क्रोधित हो गया। जनक कार्यों को देखकर अमीरों ने सुल्तान के कनिष्ठ आबदीन ने राज्य प्राप्त किया था । जैनुल आबदीन भ्राता बहराम को सूचित किया कि सुल्तान को राज्य- ने जसरत गक्कर की सहायता दिल्ली के सुल्तान के च्युत करने में वे लोग उसकी सहायता करेंगे (४७६)। विरुद्ध युद्ध किया था ( राइज आफ मुहम्मदन पावर पाद-टिप्पणी: इन इण्डिया . ब्रिग्गस : पृष्ठ : ३०३, ३०६, ३१३; सन् १९६६ ई०)। १६१. (१) वात : वायुविकार । गक्खर जाति ने काश्मीर के राजनीतिक इतिहास (२) शोणित : रक्तविकार । को प्रभावित किया है । जैनुल आबदीन ने गक्खरो की पाद-टिप्पणी : सहायता से राज्य पाया था। उसके वंशजों का भी १६२. (१) हस्सन . फिरिश्ता ने हसन तथा सम्पर्क गक्खरो से बना रहा। हैदरशाह के समय में फतेह को एक मे मिला दिया है। उससे भ्रम उत्पन्न उसके पुत्र हसन ने गक्खरों का दमन किया था। होता है। फिरिश्ता लिखता है-फतह खाँ जो . सुल्तान शमशुद्दीन ( सन् १५३७-१५४० ई०) के आदम खाँ का लडका था, अपने भाग्य की परीक्षा समय काजीचक गक्खरों की सहायता से काश्मीर में हेतु काश्मीर में प्रवेश किया। वह राजधानी मे प्रवेश किया था (बहारिस्तान शाही । पाण्डु० : इस व्याज से आया कि वह सुल्तान के कदमों मे ७७ ए०) । गक्खरों का उल्लेख सुल्तान नाजुकशाह लूट-पाट का सामान समर्पित करना चाहता है। (सन् १५४०-१५५२ ई०) के सन्दर्भ में पुनः जिसे उसने समीपवर्ती राज्यों से प्राप्त किया है। मिलता है । हैबत खाँ नियाजी जिसको गक्खर अधिक शरण नहीं दे सकते थे, सन् १५५२ ई० में काश्मीर पाद-टिप्पणी: की तरफ बढ़ने लगा था। सम्राट अकबर राज्य१६३. (१) पिरुज : फिरोज । प्राप्ति के पश्चात अबुल माली को लाहौर में (२) गख्खड : गक्खर जाति है। जसरत बन्दी बनाकर रखा परन्तु वह भाग कर गक्खरों गक्कर नाम से प्रसिद्ध था। जसरथ के कारण जैनुल के क्षेत्र मे चला गया। वहाँ कमाल खाँ गक्खर ने जै. रा. ३८ १६३. (१) १९ जाति है। जस क्षेत्र में चल
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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