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________________ २: ७८-७९] श्रीवरकृता हत्याकाण्ड : भृत्यैः संजयरमेराद्य राज्ञप्तैर्मण्डपान्तरे । छलाद्विश्वासमुत्पाद्य राजधान्यन्तरेऽवधीत् ।। ७८ ।। ७८. आदेश देकर संजर, मेर आदि मृत्यों द्वारा राजधानी में मण्डप के बीच विश्वास उत्पन्न कर छल से वध' करा दिया। किं द्रोह इति यावत् स कोशेशोऽभ्युत्थितोऽब्रवीत् । द्रुघणेकप्रहारेण तावत् प्राणैव्ययुज्यत ॥ ७९ ।। ७९. जब तक, उठ कर, कोशेश ने 'क्या द्रोह है' कहा तबतक, कुल्हाड़ी' (द्रुधण ) के एक प्रहार से प्राण त्याग दिया। मे ब्राह्मण गुरु, कारकुन तथा बोहरू वर्ग में प्राय. की जिसने सबसे अधिक उसकी वैअत के लिए प्रबन्ध विभाजित है। काक ब्राह्मण कारकुन वर्ग मे आते किया था, लूली नाई की चुगली के कारण हत्या है। मुसलमान और हिन्दू दोनों ही काक अपने करा दी (४४७ = ६७४) । नाम लीथो तथा पाण्डुनामों के साथ लिखते है । जो काक ब्राह्मण मसलमान लिपि में 'बरकछी' लिखा है। हो गये थे, उन्होंने अपनी पदवी नहीं छोड़ी । मीर फिरिश्ता लिखता है-हुस्सन कच्छी जो राजा काक भी इसी प्रकार काक ब्राह्मण वंश का मूलतः का एक अधिकारी था और जिसने हाजी खाँ को हुआ, तवलीग के कारण वह स्वयं अथवा उसके साथी मुसलमान हो गये होंगे। राजसिंहासन प्राप्त कराने में प्रसिद्धि प्राप्त की थी, उसका वध सुल्तान ने लूली नापित की प्रेरणा पाद-टिप्पणी: पर करा दिया (४७५-४७६ ) । फिरिश्ता के 'संजर' पाठ-बम्बई। लीथो संस्करण मे नाम हसन खाँ कच्छी लिखा है । ७८. (१) वध : इस हत्याकाण्ड की तुलना पीर हसन लिखता है और हसन खाँ कच्छी नेपाल में रानी लक्ष्मीदेवी के समय राणा जंगबहादुर की जिसने सबसे पहले सुल्तान की वैअत की थी द्वारा हुई कोट हत्याकाण्ड का स्मरण दिलाती है लोली हज्जाम के चुगलखोरी से मकतूल हुआ। (द्र० : जाग्रत नैपाल )। (१८८) संजर का ज्यंसर, पाठ मिलता है। यदि यह ___म्युनिख : पाण्डु० : ७८ ए० में उल्लेख मिलता पाठ मान लिया जाय तो 'जमशेद' नाम होगा। है कि हसन आदि पर राजा को सन्देह हो गया था शाहमीर वंश के द्वितीय सुल्तान 'जमशेद' का नाम कि वह बड़े भाई आदम खाँ से मिला था। उन्हे तथा जोनराज ने ज्यंसर लिखा है। संस्कृत मे जमशेद उन लोगों को बुलाकर, जो उसका विरोध उसके का रूप ज्यंसर बन गया था। पिता के समय में किये, वध करा दिया। पाद-टिप्पणी : तवक्काते अकबरी मे उल्लेख है-हसन कच्छी ७९. ( १ ) द्रुघण : परशु, कुल्हाड़ी। जै. रा. ३५
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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