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________________ १ : ३ : ६६-६८] श्रीवरकृता यत्र यत्रोपविष्टः स पापनिष्ठोऽप्यनिष्टवत् । अभवन् पीडितग्रामीणाक्रन्दमुखरा दिशः ॥ ६६ ॥ ६६. अनिष्ट सदृश वह पापी जहाँ-जहाँ पर बैठा, वहाँ पीडित ग्रामीणों के आक्रान्दन से दिशाये मुखरित हो उठीं। प्रसादमतुलोदग्रं प्रतिग्रहदृढां क्षितिम् । उपग्रह इवात्युग्रः संजहार पदे पदे ॥ ६७ ॥ ६७. उपग्रह' सदृश, अति उग्र उसने प्रसाद एवं कठोरतापूर्वक दान देकर, दढ़ की गयी पृथ्वी को पद-पद पर अपहृत किया । क्वचिद्रीत्या क्वचिद्भीत्या क्वचिन्नीत्या विलोभयन्। लोभग्रस्तो बलात्कारान्न केषामहरद्धनम् ॥ ६८ ।। ६८. लोभग्रस्त उसने, कहीं रीति से, कहीं भीति से, कही नीति से, विलोभित करता हुआ, बलात्कारपूर्वक किनके धन का अपहरण नही किया? (२) उद्धत : तवकाते अकबरी मे उल्लेख किस्म के जल्म और फसाद की बुनियाद रख दी। है-कमराज मे शक्ति प्राप्त कर आदम खा ने अनेक दमनकारी कार्य किये ( ४४३ = ६६६ )। जो कुछ भी लोगों के पास देखता कि छीन लेता था। (पृष्ठ १८४ )। आदम खा अपने राज्य कमराज्य में बहुत उत्पीड़क हो गया था। लेकिन रोजर्स यह नही लिखता म्युनिख पाण्डुलिपि में उल्लेख है कि आदम खाँ कि कमराज्य में सुल्तान ने आदम खां को नियुक्त ने उन भूमि को ले लिया, जो दान मे दी गयी थी। किया था। केम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इण्डिया में उल्लेख लोगों की सम्पत्ति लूट लिया। उसकी देखादेखी है-भिक्ष के पश्चात् आदम खां को कमराज का उसके अधिकारियों ने प्रजापीड़न, बलात्कार आदि प्रशासन दिया गया। किन्तु जनता की दमन एवं उत्पीडन एवं लुण्ठक वृत्ति के कारण पिता सुल्तान ने आरम्भ कर दिया (म्युनिख : पाण्डु० : ७५ बी०) । पाद-टिप्पणी: उसकी भर्त्सना किया । इसलिये वह पिता के विरुद्ध बम्बई का ६६वाँ श्लोक तथा कलकत्ता की उत्तेजित और विद्रोह पर तत्पर हो गया ( ३ : २८०वी पंक्ति है । पाठ कुछ अस्पष्ट है। ३८३ ): ६७. (१) उपग्रह लघु ग्रह . राहु, केतु (३) क्रमराज्य = मराज : त्याज्य राज्य का आदि उपग्रह है। फलित ज्योतिष के अनुसार सूर्य प्रयोग इसलिये किया गया है कि सुलतान ने कमराज का अधिकार आदम खाँ को दे दिया था। जिस नक्षत्र में होते है, उससे पांचवा, आठवाँ, पाद-टिप्पणी. चौदहवां, अठारहवाँ, इक्कीसवाँ, बाइसा, तेइसवाँ बम्बई का ६५वाँ श्लोक तथा कलकत्ता की और चौवीसवाँ नभत्र उपग्रह कहा जाता है। २७९वी पंक्ति है। पाठ बम्बई 'ऽप्यानिष्ट' का पाठ लघु अर्थात् छोटा ग्रह, जो अपने बड़े ग्रहों के चारों अस्पष्ट है। ओर घूमता है । पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा है । पाद-टिप्पणी : ६३ (१) पीड़न : पीर हसन लिखता हैकुछ अरसा बाद आदम खा भी बागी हो गया और ६८. बम्बई का ६७वाँ श्लोक तथा कलकत्ता की हदूद कामराज में कतल व गारत शुरु करके किस्म- २८१वी पंक्ति है।
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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