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________________ भूमिका बहराम खाँ डुलपुर पहुँच गया । राजपुरुषों ने उसे आश्वासन दिया। राजपुरुष उसकी सहायतार्थ नहीं आये । बहराम खाँ निराश हो गया। पुत्र सहित बन्दी बना लिया गया। मुख पर बाण लगने के कारण पीड़ित तथा रक्तमय हो गया था। विजयोत्सव मनाया गया। बहराम खाँ पुत्र सहित अपने ही निर्मित जैनगिर लीला प्रासाद मै बन्दी बना कर रखा गया । उसकी आंख फोड़ दी गयी। तीन वर्ष कारावास मे रहकर, वही मर गया। उसका चौबीस वर्षीय पुत्र कारागार से बाहर निकलते ही मार डाला गया। राजा प्रसन्न मन नगर लौटा। प्रतिहार अभिमन्यु देवसर का स्वामी बन गया। लूट से धन संग्रह करने लगा। प्रतिहार अभिमन्यु का उत्कर्ष अहमद आयुक्त पक्ष सहन नहीं कर सका। उसे समाप्त करने का निश्चय, आयक्त ने किया। तत्काल उसे बन्दी बनाने का अवसर नहीं मिल रहा था। एक बार राजा स्वयं विजयेश्वर गया । उसे राजधानी लाया । वह आते ही बन्दी बना लिया गया । राज्य ने उसका सर्वस्व हरण कर लिया। पत्र भी कारागार में डाल दिया गया। उसकी आँखे फोड़ दी गयी। उसने भी बहराम खाँ के समान दो वर्ष कारागार मे नरक यातनाये भोगी। मर गया। पूर्ण नापित, मल्लिक जादा आदि चिरकाल बन्धन मे रहकर, मर गये। पूर्वकाळ मे सैयिद नासिर आदि को पैगम्बर वंशीय जानकर, जैनुल आबदीन ने उनका आदर किया था। अपनी पुत्री का विवाह कर उसे राष्ट्राधिप बना दिया था। सैयिद जमाल आदि उपद्रवियों को देश से निकाल दिया था। सैयिद नासिर भी देश बाहर, स्थिति अनुकूल न देखकर, चला गया। सैयिद विवाह से सम्बन्धित होने के कारण बहुरूप आदि क्षेत्रों का, सुख भोगते थे। राजाओं के समान आचरण करते थे। हसन शाह ने उनके उद्धत स्वभाव के कारण उन्हे देश से निकाल दिया। कुछ दिल्ली में आश्रय लिये। कुछ इधर-उधर बाहर आबाद हो गये। मार्गेश जहाँगीर ने अपनी बेटी का विवाह सैयिद कुटुम्ब में कर दिया था। उसका अनादर हुआ। तलाक दिलाकर, ताज भट्ट से उसका विवाह कर दिया। जैनुल आबदीन सैयिदों को बाहर करने में असफल रहा परन्तु हसन शाह ने उनके निष्कासन में सफलता प्राप्त की। देश में समृद्धि फैली। राज्य सुखमय था। जनता विवाहोत्सव, सुन्दर भवन रचना, नाटक, यात्रा आदि मंगल कार्यों में समय व्यतीत करती थी। लूट-पाट, अराजकता देश से लुप्त हो गयी थी। ____तोरमान कालीन पचीस मूल्य वाला दीनार हसन शाह के समय चलता था। उसका मूल्य कम हो गया था। सुल्तान ने नागयुक्त द्विदीनारी प्रवर्तित किया। राजा की माता का नाम गोल खातून था। उसकी मृत्यु अकस्मात् हो गयी । वह हिन्दू आचरण करती थी। सुल्तान ने काला वस्त्र धारण किया। शोक सात दिनों तक मनाया गया। हसन शाह को यात खातून से मुहम्मद नामक पुत्र हुआ। पिता की मृत्यु के पश्चात् काश्मीर का सुल्तान हुआ। पुत्र का अभिभावक ताज भट्ट बना । हसन शाह संगीतज्ञ एवं कुशल गायक था। सगीतविद् उसके दरबार में चारों ओर से आते थे। मन्त्री जहाँगीर मार्गेश भी संगीतज्ञ था। काश्मीर मे भाड़ों के प्रदर्शन का भी उल्लेख मिलता है। अनेक भाषाओं के ज्ञाता भाँड़ थे। भडैती में हास्य रस की प्रमुखता होती थी। मुल्ला हसन ने दश तन्त्रियों वाली मोद वीण बनायी थी। श्रीवर भी तुम्ब वीण पर गायन एवं वादन करता था। हसन शाह संस्कृतभाषी था। पद्य रचना करता था। उसका गीत सुनकर, लोग चकित हो जाते थे। अनेक रागों के विशेषज्ञों से उसका दरबार भरा रहता था। नर्तकियाँ शास्त्रीय नृत्य करती थीं। रत्नमाला, रूपमाला, दीपमाला
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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