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________________ नंबर १ २ आचार्योंके नाम. श्रीपुष्पदंत, भूतबलि, वृषभाचार्य श्री कुंदकुंदाचार्य श्रीजयसेनाचार्य - वसुर्विदाचार्य श्री उमास्वामि आचार्य श्री समंतभद्राचार्य श्री माघनंदि आचार्य श्रीशिवायनाचार्य श्रीपूज्यपाद स्वामि ९ श्रीप्रभा चंद्राचार्य श्रीवीरनंदि आचार्य श्रीमान् पंडितप्रवर संघई पन्नालालजी दूनीवाले इनके " विद्वज्जनवोधक " पुस्तकसे और श्रीमान् पंडित पन्नालालजी गोधा उदासीन इनके चिट्ठीपरसे ऋषि दिगंबर जैनाचार्य प्रणीत प्रामाणिक ग्रंथाकी यादी | विक्रम संवत् ग्रंथोंके नाम ४ ५ ६ ७ २७ ६० ग्रंथ संख्या. ३ श्रीधवल, महाघवल, जयधवल. पंचास्तिकाय, समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, रयणसार, अष्टपाहुड. प्रतिष्ठापाठ. ७६ तत्वार्थसूत्र. १२५ देवागम, रत्नकरंड श्रावकाचार, स्वयंभुस्तोत्र, युक्त्यनुशासन. १३६ वन्देतान् • - जयमाला. भगवति आराधना. ४०० घोस्सा मि० इत्यादि स्तोत्र, सर्वार्थसिद्धि, जैनेंद्रव्याकरण, समाधिशतक. ४ ४५३ प्रमेयकमलमार्तड, न्यायकुमुदचंद्रोदय. ५५६ आचारसार, चंद्रप्रभकाव्य. ( 8.5 )
SR No.010018
Book TitleJain Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankar P Randive
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year1931
Total Pages175
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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