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________________ (१३३) तहां एक एक मासकी इकतीस तिथि स्थापन करनी। काहेत ? एक मासकी तीस तिथि होहै । अर-" इगिमासं दिणवड्ढी " इस सूत्र करि एक मासविर्षे एक दिन वधै ताते इकतीस तिथि स्थापन करना । इहां पंद्रह पंद्रह दिनका पक्ष ग्रहण किया तातै एक मासके तीस दिनही ग्रहण किए । बहुरि नो तिथि घटै है तिहकी विवक्षा किए पक्षविर्षे भी घटती दिन कहना होह मासविर्षे मी कहना होइ ताते भावार्थ:- एक जानि तीस दिनही मासके ग्रहण कीए । तहां युगवि. दक्षिणायनविर्षे प्रथम श्रावण मासविर्षे कृष्ण पक्षके पंद्रह शुक्लके पंद्रह कृष्णका एक दुसरेवि कृष्णके तीन शुक्ल के पंद्रह कृष्णके तेरह, तीसरेविर्षे शुक्लके छह कृष्णके पंद्रह शुक्लके दश, चौथेविर्षे कृष्णके नव शुक्लके पंद्रह रुष्णके सात, पांचवां विर्षे शुक्लके बारह कृष्णके पंद्रह शुक्लके च्यारि दिन बहुरि उत्तरायणविर्षे प्रथम माषविर्षे कृष्ण पक्षके सात, दूसरेविखें शुक्ल के बारह कृष्णके पंद्रह कृष्णके एक चौथेविर्षे कृष्णके तीन शुक्ल के पंद्रह कृष्णके तेरह, पांचवां माघविर्षे शुक्लके छह कृष्णके पंद्रह शुक्लके दश दिन होहै । बहुरि दक्षिणायनवि वीचि जे भाद्रपदादिक मास अर उत्तरायणविर्षे वीचि फाल्गुन आदि मास तिनविर्षे भादिवि एक एक घटता पर अंतविपैं एक एक बधता दिन स्थापन करिए ऐसे एक एक मासविषै इकतीस तिथी स्थापन किए तीह मासविर्षे वा तीह तीह मयनविषै अधिक दिन आते हैं। ___ भावार्थ:--प्रथम भावणविषै वदि एकैसे लगाय पंद्रह तिथी कृष्ण पक्षकी अर पंद्रह शुक्ल पक्षकी पर एक भाद्रपदका कृष्णकी मिली एकतीस तिथि होई । वहरि भाद्रपदविर्षे पंद्रह तिथि कही थी तामें एक घटाएं दोय अश्विनके कृष्ण पक्षकी मिलाएं इकतीस तिथि हो है। बहुरि अश्विनीविर्षे मादिमें एक घटाएं तेरह कृष्ण
SR No.010018
Book TitleJain Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankar P Randive
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year1931
Total Pages175
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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