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________________ ( ३७) हिन्दी-भावार्थ गोतम स्वामी बोले-भगवन् । सिध्यमान जीव कितनी ऊचाई मे सिद्ध होते है ? भगवान बोले- गौतम | जघन्य (कम से कम) सात हाथ की ऊचाई मे और उत्कृष्ट (अधिक से अधिक) पाच सौ धनुष की ऊचाई मे जीव सिद्ध होते है। मूल पाठ * जीवाण भते । सिज्झमाणा कयरम्मि आउए सिज्झन्ति? गोयमा जहण्णेण साइरेगट्ठवासाउ उक्कोसेण पूक्कोडियाउए सिज्झन्ति । सस्कृत-व्याख्या 'साइरेगट्ठवासाउए' त्ति सातिरेकाण्यष्टौ वर्षाणि यत्र तत्तथा तच्च तदायुश्चेति तत्र सातिरेकाष्टवर्षायुषि, तत्र किलाष्टवर्षवयाश्चरण प्रतिपद्यते, ततो वर्षे अतिगते केवलज्ञानमुत्पादय सिध्यतीति । 'उक्कोसेण पुवकोडाउए' त्ति पूर्वकोट्यायुर्नर पूर्वकोटया अन्ते सिध्यतीति न परत । हिन्दी-भावार्थ गौतम स्वामी बोले-भगवन् | सिध्यमान जीव कितनी आयु मे सिद्ध होते है ? भगवान बोले-गौतम | जघन्य कुछ अधिक आठ वर्ष की * जीवा भदन्त ! सिध्यन्त' कतरस्मिन् आयुषि सिध्यन्ति? गौतम जघन्येन सातिरेकाष्टवर्षायुष्का उत्कर्षेण पूर्वकोटिकायुष्का सिध्यन्ति ।
SR No.010013
Book TitleJain Agamo me Parmatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year1960
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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