SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ जैन शिलालेख - सग्रह ७० कीरप्पाक्कम् ( चिंगलपेट, मद्रास ) ९ वी सदी, तमिल [ इस लेखमे कीरपाक्कमुके उत्तरमे देववल्लभ जिनालयका उल्लेख है । इसका निर्माण यापनीय मघ कुमिलिगणके महावीरगुरुके शिष्य अमरमुदलगुरु-द्वारा किया गया था । लिपि ९वी सदीकी है । ] [रि० स० ए० १९३४-३५ क्र० २२ पृ० १० ] बेगूर ( बगलोर, मैसूर ) ९वीं मदा, कट [ इस निसिधिलेखमे मोन भट्टारके शिष्य न्दिभटारके समाधिमरणका उल्लेख है । लिपि ९वी सदीकी है। यह लेख नागेश्वर मन्दिरमे लगा है । ] [ ए०रि० मं० १९१५ पृ० ४६ ] ७२ बेलगाँव (मैसूर) ९वीं-१०वी सदी, कचढ [00 [ यह लेख नेमिनाथमूर्ति के पादपीठपर है । इस मूर्तिको स्थापना 'राष्ट्रकूट वशरूपी समुद्रके लिए चन्द्रके समान' मणिचन्द्रके गुरु नेमिनाथ ( नेमिचन्द्र ? ) द्वारा की गयी थी। ] [रि० अ० स० १९२८-२९ पृ० १२५ ] ७३ अलगरमले ( मदुरा, मद्रास ) वहेतु किपि - ९वी - १०वी सदी [ यह लेख एक जिनमूर्तिके समीप सुदा है ] (मूल ) १ श्री यच्चण २ टि शेय G
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy