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________________ -५९५] मन्तगि आहिक लेख ५६३ मन्तगि (धारवाड, मैसूर) कन्नत [ इस लेखमें फाल्गुन -?-बडुवार, मर्ववारि मवत्सरके दिन मूरस्तगणक सहलकोतिदेवके शिष्य तथा मल्लिगुग्डके महाप्रभु विठगीडके समाधिमरणका उल्लेख है।] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र० २१० पृ० २५ ] ५९४ येलवर्गि ( रायचूर, मैसूर) कन्नड [ यह लेख एक भग्न भूतिके पादपीठपर है। इनमें मूलसंघ, मूरस्तगण तथा कन्निसेट्टिका उल्लेख है।] [रि० इ० ए० १९५५-५६ ० २२५ पृ० ३९] ५९५ तिरुप्परंकुण्डम् (मदुर, मद्रास) तमिल (2)- ब्राह्मी [ यहां पहाडीपर दो गुहाओमे निम्न पक्तियां खुदी हैं। ये गुहाएँ जैन धमणोंके लिए उत्कीर्ण की गयी थी (१) न य (२) मा ता ये व (३) ब न तु वा ण को टु पि ता वा ग] [रि० इ० ए० १९५१-५२ ० १४०-४२ पृ० २२]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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