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________________ नैनशिलालेख-सग्रह [४० ४४०-४४१ बैन्दुरु (द० कनडा, मैसूर) शक १३(७) -सन् १४५०, पन्नड [ यह लेख विजयनगरके मल्लिकार्जुन महारायके समय चैत्र शु. १०, गुरुवार, शक १३(७)१ शुक्ल संवत्मरका है। इस समय वैदूरके पार्श्वनाथ बसदिके लिए कुछ लोगो-द्वारा दिये हुए दानोका विवरण इसमे दिया है । देवप्प दण्डनायकका भी उल्लेख है। इमी समयका दूसरा लेख यही है । इसमें हाईवलिय राज्यके शासक सगिराय भोटेयके पुत्र डगरस मोडेयके समय पार्श्वनाथवसदिको प्राप्त दानोका विवरण है।] [रि० सा० ए० १९२९-३० ऋ० ५३६-३७ पृ० ५३ ] ४४२ चितलद्रग ( मैसूर) शक १३८५-सन् १४६३, कन्नड १ सखवरुस १३८५ सोमकृति स२ वछरद कतिकसुध १५ भाकिय मं३ गिसेष्टिय मग गुम्मिसेटियर नि४ स्तिगे श्रीवीतराग [यह एक निसिविलेख है। आकिय मंगिसेट्टिके पुत्र गुम्मिसेट्टिके समाधिमरणका यह स्मारक है। तिथि कार्तिक शु० १५, शक १३८५१ शोमकृत् सवत्सर इस प्रकार दी है। [एरि० मै० १९३९ १० १०४ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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