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________________ ३०६ जैनशिलालेख संग्रह मूलसघ-बलात्कारगण-सरस्वतीगच्छके वर्षमान भट्टारककी प्रार्थनापर रामा-द्वारा वराग नामक ग्राम नेमिनाथमन्दिरको अर्पित किये जानेका उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९२८-२९ ३० ए १२ १०५] [इस ताम्रपत्रकी प्रतिलिपि वराग ग्रामस्थित नेमिनाथवसदिमें एक पापाणपर उत्कीर्ण है।] [रि० सा० ए० १९२८-२९ ३० ५२५ पृ० ४९] माण्डू (धार, मध्यप्रदेश) (संवत् ) १४८३=मन् १४६६, सस्कृत-नागरी [इस लेखमें सम्भवनाथको मूर्तिको स्थापनाका उल्लेख है। तिथि (सवत् ) १४८३, वैशाख (चत्र ) शु० ५, गुरुवार ऐसी दी है। ] [रि० इ० ए० १९५४-५५ २० १८२ पृ०४] ४३६ विसरूर (दक्षिण कनहा, मैसूर) शक १३:३=सन् १४३१ [यह लेख देवराय २ के राज्यमें शक १३५३ में लिखा गया था। इसमें जैन मन्दिरके लिए बसरूरके चेट्टियो-द्वारा वहकि बाजारम आनेवाली चावलकी हर गाडीपर एक 'कोलग दान दिये जानका उल्लेख है।] [इ० म० दक्षिण कनडा २७]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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