SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 276
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -४०९] तवनन्दी भादिके लेख ५ सिंगलवेन्तिडे नाक .. ६ युधिल ७ वार्षि [यह निमिधिलेख बहुत सण्डित है। सोरव और तवनिधिके शासक ब्रह्मके ममय किसी व्यक्तिके समाधिमरणका यह स्मारक है । मृत व्यक्ति कोई महिला थी क्योकि लेखके पापाणपर एक स्त्रीमूर्ति-उत्कीर्ण है। ] [ए० रि० मै० १९४२ पृ० १७९ ] ४०८ तवनन्दी ( मैमूर) १४वीं सदी, कन्नड 5 जिनरुं जिनमुनिगलु मचन- २ पम प्राणीश हरियन३ दन नेनदु वनजाक्षि महा- ४ लक्ष्मयु घनतर गौर्य७ ढोलुमग्नियोल स ६ ले पायिदलू ७ महालक्ष्मिय सद्गुण ८ समुद्रोपमान ॥ मं६ गलमहा श्री श्री [इम लेखमै महालक्ष्मी नामक किसी महिलाके अग्निप्रवेश-द्वारा मरणका उल्लेख है । जिन, मुनि और अपने पति हरियनदनका स्मरण करते हुए उमने धर्यपूर्वक प्राणत्याग किया था। लिपि १४वी सदीकी है।] [ए. रि० मै० १९४२ पृ० १८५] ४०६ . तलकाड ( मैमूर) १४वीं सदी, कन्नड [यह लेख द्रविल सघ-नन्दिगणके कमलदेवके गिप्य लोकाचार्यक समाधिमरणका स्मारक है। लिपि १४वी सदीकी है। यह लेख वैकुण्ठनारायणमन्दिरको दीवालमे लगा है।] [ए. रि० मै० १९१२ पृ० ६३]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy