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________________ -४०२ ] लक्कवरपुकोटका लेख ४० सुध पंचमि सुक्रवार रोहिणीनक्षत्रडलु तुगममाधि • ४१ ...आचन्द्रार्कमागि ४२ मूडे मत्तवन वोजण ४३ सेहि " रामक ४४ निपधिय कलिंगे मगल महा श्री On [ इम निषिधिलेखमे कार्तिक शु० ५, रविवार, शक १३१४, प्रजापति सवत्सरके दिन योजणसेट्टिकी पत्नी रामक्कके ममाधिमरणका उल्लेख किया है । रामक्कने गरमोप्पेमें अनन्ततीर्थंकरका मन्दिर बनवाया था । उसका वशवर्णन भी लेखमें दिया है । गमक्कके पिता माणिक मेट्टिकी मृत्यु आपाढ शु० ५, शुक्रवार, विक्रममवत्मरके दिन हुई थी। ] [ ए०रि० मं० १९२८ पृ० ९७ ] २०१ लक्कवरपुकोट (विजगापटम्, आन्ध्र ) संवत् १४४८ = सन् १३०२, संस्कृत - नागरी २८७ [ इम मूर्तिलेखमें संवत् १४४८ में जिनचन्द्र भट्टारक द्वारा इस मूर्ति - की स्थापनाका उल्लेख है । इस समय यह मूर्ति वीरभद्र मन्दिरमें है । ] [ रि० स० ए० १९११-१२ क्र० ४७ पृ० ५० ] ४०२ संगूर ( धारवाड, मैसूर ) शक १३१७ = सन् १३६५, कन्न [ इस लेखमें जैन मल्लप्पके पीत्र तथा मगमदेवके पुत्र नेमण्ण-द्वारा सगूरके पार्श्वनाथ मन्दिरको भूमि दान देनेका उल्लेख है । विजयनगरके सम्राट् हरिहरके समय गोवाके शासक माधवका यह सेनापति था । नेमण्ण
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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