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________________ -३५० ] इन्दौर आदिके लेख २६१ तैलगेरेके प्रसन्नपार्श्वदेवके लिए २००० वृक्षोके उद्यानके दानका वर्णन है । इस मन्दिरका उपाध्याय जैन ब्राह्मण चल्ल पिल्ले था जो पाण्ड्यप्रदेशके भुवलोकनाथनल्लूरका निवासी था । ] [रि० स० ए० १९१६-१७ क्र० ४० पृ० ७४ ] ક इन्दौर म्युजियम ( मध्यप्रदेश ) संस्कृत - नागरी, सं० १३३४ = सन् १२७८ [ इस लेखमें पण्डिताचार्य रत्नकीर्ति द्वारा एक मूर्ति सं० १३३४ में स्थापित किये जानेका उल्लेख है । [रि० इ० ए० १९५०-५१ क्र० १२३] ३४६ एटा (उत्तरप्रदेश ) संवत् १३३५= सन् १२७८, संस्कृत - नागरी [ मूलसंघके गोललतक कुलके कुछ साघुमो द्वारा सवत् १३३५ मे तीन मूर्तियाँ स्थापित की गयी थीं ऐसा इस लेखमें वर्णन है । ] [रि० आ० स० १९२३ - २४ पृ० ९२] ૨૦ कडकोल ( धारवाह, मैसूर ) शक १२०१ = सन् १२८०, कन्नड [ इस लेखमे मूलसघ के पद्मसेन भट्टारकके शिष्य सावन्त सिरियम गोडकी पत्नी चण्डिगौडिके समाधिमरणका तथा कई गौडो द्वारा एक वसदिको दान दिये जानेका उल्लेख है । तिथि भाद्रपद शु० ६, सोमवार, शक १२०१, प्रमाथि सवत्सर ऐसी है । ] [रि० स० ए० १९३३-३४ ऋ० ई ५१ पृ० १२३ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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