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________________ -३11 मानन्दमंगलम् आदिक लेख आनन्दमंगलम (त्रिगलपट, मद्रान) गज्यवयं = सन १६ नमिल [इन लेवने विनम्नर दुग्छडिगलो निल बर्वमानपरिडिगलद्वारा निनगिरिसर में एक पावरको बाहान्दान देनके लिए ५क्लनु (मुर्गमुद्रा करना उल है। रह लव बाल राजा (कुलोत्त. गर) महिमोग्ड परन्मुन्द्रिमा १३ वर्षका है।] [नि.ना ए. १००२-२४ क्र. ४३० पृ २५ ] ३.५ मनगुन्दि (गरवाह-मैमूर ) भक ३८-20-मन् १२१-१८, कन्नट [यह लेख कडम्ब राजा जयगि नया बनवक ममन चैत्र ब ७, या ११३८ त्या कार्तिक शु ८, गर ११४० इन तिथियोंका है । इसमें मणिगुन्दिके जिनालगने जीर्णोद्धार लिए कई भन्ध पुन्पा-द्वारा दान दिये नानका उल्लेख है तथा वहां जैन आचार्योंकी नामावली दी है।] [रि.मा ए. १०२५-२६ क्र ४३९ पृ ५५] कंदगल (विजापूर, मैमूर) राज्यवर्ष (6) = मन् ३२३०, कन्नड [यह लेख यादव राजा सिंहणदेव राज्यवर्ष (२) १, विक्रम सवत्सर कोष्ठ मावास्याका है। इसमें मूलमंच-पारगण सकलचन्द्र भट्टारकी प्रिया नागसिरियञ्चे-द्वारा निर्मित पार्वनाथ वरदिने लिए भूमि मादिक दानका उल्लेख है।] [रि. सा ए. १९२८-२९ क्र. ई ५० पृ ४५ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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