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________________ २३६ जैनशिलालेख-सग्रह [३१: वेलगाँव (क्रमाक १ ब्रिटिंग म्यूजियम) काड, शक ११२७ = सन् १२०१ १ श्रीमसरमगमीरस्याबाटामोघलाठनम् । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासन जिनशासनम् ॥ नमो वीतरागाय शान्तये ॥ २ श्रीजिनसमयनवाधि राजिसुतिकमथनोर्जितामृतरस्न-श्रीजननगृह सत्वदयाजीवनमपरिमितगमीरमपार ॥ नवमौक्तिकहारं ३ श्रीयुवविगिदेनिसिद कृष्णनृपवंशलपार्थिवचयदोल सेनरस भुवननुत मिसुपनेसेव नायकमणिवोल ॥ वरई । ४ डिमडलाधीश्वरनेनिषा सेनविमुगे सुचनाठ दुवैरिभूप___ भोकरपराक्रम कार्तवीर्यननुपमशीय ॥ आ विभुगादल सति पद्मा५ यति जिनसमयवृद्धिकरणापरपद्मावति बुधामिमतपद्मावति बना युधगे पौलोमिय बोल ॥ भवरिवरगं पुट्टिन्टनवनीश्वरमौ६ लिमडन लक्ष्मनुप परिमलमुक्ताफलमोसेव वार्षिगं ताम्रपणेगे मुटुवबोल ॥ एनेबे लक्ष्मिदेवक्षितिमुजन मुनाटोपमं विद्विषद्धा श्रीनाथर् संने• गॅप मद्यपदहतिथिदाद कॅलियेदालोमानध्वानम तानयतुरंग खुरोझोषमेदनि नानास्थानस्थायित्वम केलपडेयदे बिडदो6 दुपमिदंपरिन्नु ॥ अपराधिगलने नोलयुद्ध नृपालकरदंडनीति वाप्पु घनाक्षाधिपनागे लक्ष्मभूविभुवपराध दंडविविल्ले कृतियो॥ ९ अमृतामोराशियोल पुहिद सिरियमणं बनु धानं स्वमायाक्रमादि बरोवलं निर्मिसि चपलेयना कृष्णनोल कूद्धि भत्ता विम
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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