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________________ १९८ जैनशिलालेख संग्रह [ २६७ २६७ नदिहरलहल्लि ( धारवाड, मैसूर ) शक १०९ (५) = सन् ११७३, कन्नड [ यह लेख कलचुर्य राजा रायमुरारि सोविदेवके समय श्रावण शु० (?) गुरुवार, शक १०९ (५), नन्दन सवत्मरका है। इसमें उल्लेख है कि दण्डनायक महेश्वरदेवके अधीन कर मग्रह करनेवाले अधिकारियोने गोट्टगढि स्थित नागगावण्डकी वसदिके लिए कुछ करोका उत्पन्न दान दिया । उस समय वनवासि प्रदेशपर कासिमय्य दण्डनायकका शासन चल रहा था । ] [ रि० स० ए० १९३४-३५ क्र० ई० ५९ पृ० १५२ ] २६८ वोगाडि ( माडया, मैसूर ) शक १०९५ = सन् १९७३, कन्नढ १ श्रीमत् पार्थिवकुलचन्द्र यदुवशवार्धिवर्धनचद्र मोमभुजं ललनाजनकामामिरामन् चाल || टिगिमंगलु मदविहलगल भलुकलु कूर्म निम्तोर्मेयुं मोगमीयं भुजगाधिपं बहुमुख सारक या सगमेन्दुगुणोवप्रम्पसप्रलक्षयल सहोर्दण्डदोल संतोष मिगे भूकामिनि विल् यापदुलदि बल्लाळ भूपालन ॥ भा नृपनगण्यपुर्ण्य मानसरूपादुदेविन भुवनजन मानोज्ञतकनका चलन् भनत रक्षकदक्षरत्ननिधानं ॥ महागमन्त्रकमनीयाल वित सुरराजपूज्यचरणाक्यन एनलु सचितकीतिपराक्रम प्रभावनन् एनिसि २ माचिराज नेग ॥ वनुवि कामन (न) थिंगीव गुणदि कल्पाद्रिय हेमाचलम चारुचरित्रदिंदुधिय गामीर्यदि स्थैर्यटिं कनकाद्रीन्द्र
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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