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________________ -२०८ ] ११ १२ १३ १५ हलिका लेस 'पोद) लूद वेढंगले मृर्तिगॉड देनिपंदटलोप्पुव विप्ररिदे ग्रामंगल चक्रवतियेसेहिर्दुदु नोपडे पूलि कीलेयिं ॥ (९) मत्तमल्लिय विप्रर महिमेये (तदोडे ) | पोंठनेनिप श्रीकृष्णदेवं सविस्तरदि तन्न सहस्रमध्य पेसरं रूपागिरलु माढि साक्षरवेदाक्षरजीवमंत्र चयम तीविट्टु पुलीमहापुर .. १४ • शास्त्रढोढवि श्रीकेशवादित्यदेवपाढांमोजवरप्रसाटरेसेटर सासि - रितुर्वियो | (११) हरि किलेने लेयिं चलिसिद हरिषदवेहि केंदु निराकरिपुदु सासिर्वरुचितदे चलितवचन ॥ ( १२ ) स्वस्स्थनवरतविनमदम (र) राजत् किरीटको टिताडित जिनेंद्रचरणारविदम १६ . (चल) दुत्तर ग। वीरविद्विष्टसंहरणप्रतापकार्तिकेय । गगगांगेय । चपलवैरिवाहिनी संहननप्रतापलकेश्वरं । कोलालपु (रवराधीश्वरं ।) १७ (एतें) ढोडे। मंडलिकजगदल मार्कोडर जवनार्थिजनके कल्पमहीज गंडर तीर्थ सितगर गड मार्केल भैरवं पिट्टनृपं ॥ (१३) मन्त १९ २० १५१ ( एसेंदर् ) सामिर्वरितुर्वियोलु ॥ (१०) उपमातीतमेनिष्प पेंपु गुणमादाय चल साहसं जपहोम नियम महोन्नतिकसत्य शौचमा ... १८• पुहिढरोप्पे पर्मनृप बिज्जमहीपति को तिभूपनु जेहिंग गोमं नुं ने गर्द (ट) मैललदेवियुमते रूपिनिधिलवागि • ॥ (१४) लिक कढरिभूभुजरं तवे को गुर्तराष्ट जयसिहदेव धरणीश्वरनं निजराज्यलक्ष्मियोलु पहु पोगलुतिपुटु विज्जलभूमिपालन ॥ (१५) मत्तं । रेवकनिमंडि कन्हरदेवर्गेतक्कनंते भूनुते सिरिया (देवि )
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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