SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 435
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८७ ५७ २३५ rommmmm कवि १४३ | कनकनन्दिपण्डितदेवर २८० कनकप्रभदेव ककसपत्त कनकप्रभसिद्धान्तदेव २३७ ककुम कनकसेन १३७,१३९ ककराज कनकसेनदेव २१४ कनकसेनपण्डितदेव कनकसेनभट्टारक कञ्चयगर करकगिरिय-तीयं कच्छेयगड १४२ कनकपुर कचरसस्संगो गा १८२ कनियसिका (कुल) कवरिगुण्ड १४४ कनिष्क १९,२५ कालदेवि २१३,२७७,२९९ कान्तियर-नाकय्य २१० २६३ कन्दवर्ममालक्षेत्र १३७ कटकराज १४३ कन्दुकाचार्य २१३,२४८ कटकाभरण (जिनालय) कन १३०,२०५,२२७,२९९ कणिष्क कनकर कण्ठिका १८६ कम्णेश्वर २०४ कण्हबेना कन्नमुझे कदम्ब (कुल) ९५,९७,९८,९९, कनर-देव १००,१०१,१०४,१०५,१०८,११४ कन्नरसान्तर २१३ १२९ कन्याकुब्ज २१३,२१९ कदम्ब-दिसायर २४९ स्मलदेव १२८ कदम्मा (म्बा) कमळभद्र कनक (कुल) २७७ कनकचन्द्र कम्मनाण्ड १४३ कनकनन्दि २७७ कनकनन्दि-त्रैविद्य करण्डिग १०६ कनकनन्दि-विद्य-देव २५१ 'करदूपण १४३ कन्नडिगे १२४ कनपार्य २७७ १४० २१३ १४६ २९९
SR No.010007
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymurti M A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1953
Total Pages455
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy