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________________ १८७ हुम्मचका लेख [यह लेख प्राच्य चालुक्य राजा अम्म द्वितीय अपरनाम विजयादित्य षष्टकी प्रशस्ति है । इस्का काल नहीं दिया है । लेकिन दूसरे प्रमाणोसे पता चलता है कि उसका राज्याभिषेक शुक्रवार, ५ दिसम्बर, ९४५ ई० को हुआ था और उसने २५ वर्पतक राज्य किया था। अत्तिलिनाण्ड प्रान्त (विषय) के कल् चुम्बर नाम के गावके दानका इसमें उल्लेख है । यह दान वलहारि गण और अडकलि गच्छके अहनन्दि जैन गुरको किया गया था। दानका प्रयोजन सरोकाश्रय-जिनभवन नामके जैनमन्दिरके धर्माटेकी भोजनशाला (या भोजनभवन) की मरम्मत वगैर• कराना था। यह दान स्वय अन्म द्वितीयने किया था, लेकिन पवर्धिक वंशकी और अर्हनन्दिकी एक शिप्या चामेकाम्बाकी ओरसे दिलवाया गया था। प्रशस्तिके अन्तका तेलुगू भाग स्वय हनन्दिके द्वारा प्रशस्तिके लेखक्को दिये गये एक इनामका जिक्र करता है।] __[DI, VII, n° 25, £ 5] १४५ हुम्मच-संस्कृत। [काल लुप्त, संभवत. लगभग ९५० ई० (लु० राइस)।] [ पार्श्वनाथवस्तिके दरवाजेकी पश्चिम ओरकी दीवालपर] श्रीमत् स्वस्त्यनवद्य-दर्शन-महोग्नरु प्रताप-सम्पन्न पर-चक्रगण्ड.... """""य्युत्तिरे शक-वर्पमेण्टु-नू...... ... ... नाड नाळ्गामुण्ड मन्तेयर म""सर्गतन्" ... ..'नाळ्गामुण्ड बी..दिळ.डोळ् किषुकवे सर्गतन वाणसिगेयाकेय पिरिय-मग...ळियकं तोलापुरुष-सान्तरन वळेयाके तम्मद्वेय सन्या" छत्तमी-कल्ल वसदियुमोन्दु-देवारमुम माडिसिदळ्" श्रीसामियब्वे सेदेगोट्टडे सान्तरन विन्ननप्प मोगम नोडेनेन्दरसि"पपिदु' प्रभावति-कन्तियरेन्दु पेसर कोण्डु सन्यासन गेय्दोडे... कुक्कस-नाड किपिय-सालेयुरं वसदिगित्त वलक-नाड सुळिगोड देवारके""भटारगर्गे बळिय नदि वसदिग देवारक कोडळ पाळियक बोलि
SR No.010007
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymurti M A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1953
Total Pages455
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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