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________________ जैन साहित्य संशोधक भाग . ४. ब्रह्मचर्य-स्त्रीसंयोगथी विरमg. लीधां होयां जोईए: नहीं के बौद्धो पासेथी. एम ५. अपरिग्रह-दुनियादारीनी चीजोमां आसक्ति मानवानुं वौजु एण एक कारण छे, अने ते ए के, न करवी. खास करीने ममत्वभावनो त्याग बौद्धोए सत्यवतने वीलु स्थान न आपतां श्रीजु करवो. ___ अगर चोथु स्थान आप्यु छ, अने तेम करी तेमणे जैनोनुं पांचमुं व्रत, बौद्धोना पांचमा शील करतां व्रतोना पुरातन कपने बदल्यो छे. वळी, जैनो पधारे व्यापक छे. परंतु वाकीनां व्रतो. लहेंज क्रम- बोद्धो करतां घणाज प्राचीन अने अधिक प्रतिष्टितं भेद सिवाय (जेमके वौद्धोना नं. ५-४) सरखांज एवा ब्राह्मणोना संन्यासावरणने सूकी बौद्धोना छे. आ बन्ने धर्मोनां व्रतोनी वच्चेनुं सास्य खरे- आचरणर्नु अनुकरण करे ए मानg पण असंभवित खर एटलं बधुं अद्भुत छ, के सामान्य रीते पम लागे छे. सहजे अनुमान थई जाय छ के, आ बेमांथी एक आ स्थळे जगाववं जोईए के, आ त्रणे धर्मोमां धर्मभाळाए बीजा धर्ममाथी पोतानां तो लोधां पांचसं व्रत, पोतपोताना आचारने खास अनुलहोवां जोईए. परंतु तेम छतां पण ए प्रश्न तो क्षीने वनाववामां आव्युं छे. जेम के ब्राह्मण सन्याउभोज रहे छे के असलमा आ व्रतो जैनोए बौद्धो सिने पांच त्याग (उदारता ) व्रत एवं छे के जैन पासेथी लीधेलां के बौद्धोए जैनो पासेथी? वास्त- अगर बौद्ध भिक्षना आचारो तरफ जोतां, स्वाभाविक रीते विचार करतां जणाय छे, के आबावतमा विक रीतेज ते तेमना माटे विहित थई शके तेवू जैनो अथवा बौद्धो-ए बेमांथी कोई पण एक संप्र- ल नथी. महावीरनी पूर्वे जैनधर्ममां चार दाय मौलिकतानो दावो करी शके तेम नथी. कारण महावतो पाळवामां आवतां हतां अने हालतुं चोथु के आ बन्ने बाए प्राचीन ब्राह्मण धर्मना संन्या- नाते वखते पांचमा व्रतमा अन्तर्गत थतुं हतुं. सिओन जे पांच व्रतो हतां तेनोज स्वीकार करेली ला परंतु महावीरे फरीथी आ चार व्रतनां पांच व्रत छ. ब्राह्मण संन्यासिनां पांचवतो नीचे प्रमाणे छ: बनाव्यां हतां बीजी तरफ चौद्धो पण पांच शीलो १. अहिंसा. माने छे. ते उपरथी एम जणाय छे के पूर्वे आ पा२. सत्य, चनी संख्याने खास रीते पवित्र मानवामां आ३. अस्तेय. वती हती. ४. ब्रह्मचर्य, उपर्युक्त चर्चाना परिणामे आपणे ए स्पष्ट सम५. त्याग: अने पांच गौण व्रतो: जी शकीए छीए के जैनो तथा बौद्धोना भिक्षुसंप्र. ६. क्रोध न करतो, दायनो मूळ आदर्श कोण हतो? ए आदर्श ब्राह्मण ७. गुरुनी आज्ञामा रहे. धर्सनो संन्यासी-संप्रदाय हतो अने एमाथीज ते८. अनौद्धृत्य. ओए पोत पोताना यतिजीवन माटे घणाक महत्वना ९. शौच, आचारी तथा नियमो लीधा हता. आ प्रकारतुं १०. आहारशुद्धि. मारुं अनुमान कांई खास नवीन नथी. प्रो. मेक्स संन्यासिनां उपर्युक्त पांच मोट बोगस मूलरे अत्यार आगमच पोताना Hibbert Lect. लो चार व्रतो जैन भिझुनां चार व्रतोने मळतां ures (पृ. ३५१) मां एवो विचार प्रदर्शित कों आवे छे. अने क्रम पण एकजसरखो छे. आथी संभ- सना अनवादमां तथा प्रो. केने पोताना भारतीय छे अने तेज प्रमाणे प्रो. बहलरे, पोताना बौधायन वित छेके जैनोए पोतानां तो ब्राह्मणो पासेथी बौद्ध धर्मना इतिहास (History of Buddhism १ बोधायन २,१०, १८, जुओ, बुल्हरनो अनुवाद _in India) मां पण तेवोज अभिप्राय आपेलो छे. Sacred Books of the Masi, "Vol. XIV हवे हुँ जैन साधनं जीवन केटले अंशे ब्राह्मणधर्मपृ. २७५. ना संन्यासी-जीवनना अनुकरणरूपे छे ते बताववा
SR No.010004
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year
Total Pages137
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size11 MB
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