SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन साहित्य संशोधक. [भाग १ wnwwwvoman पण घणे देशावरांसु संघ आयो । स्वामीवच्छल प्रमुखकरी ३ श्रीसंघकी भक्ति करी । त्था पांच शिप्याने श्रीपूज्यजी म्हाराजके हांथसें दीक्षा देराइ । दिन १५ तक बडो ठाठ उछत्र नित्य नवीन पूजा प्रभावना हुइ। श्रीदरबार साहिब पधाया । तोफांका फेर हुवा । सेठांके पगमें सोनो बगसीयो। फेर श्रीसंघसमेत जेसलमेर आया. उजमणा प्रमुख कीना । श्री. पूज्यजी महाराजकी पधरावणी २ कीनी जिणमें हजारा रुपीयांको माल असबाब भेट कीनो । उपाध्याय दंगरे ठावा ठावा ठाणाने रोकडा शालजोडी इन्यादि यथायोग्य दीना। उपाध्याय साहिबचंदजी गणि । पं. । प्र.। मेरजी गणि पं. प्र. अमरचंदजी गणि प्रमुख । ठाणा ४१ था । ठाणे दीठ रू. १० दश रोकडा थांन प्रत्येके दीना । परगच्छीय यतियांको सतकार अछीतरे कीनो । श्रीसरकारकी पधरामणी कीनी । घोडा लवाजमो नजर कीनो । मुसद्दी वगेरे सबने यथायोग्य शिरोपाव दीना ।। - श्रीजिनभद्रसूरि शाखायां पं. प्र. श्रीमयाचंदजी गणि तत्शिष्य पं. सरूपचंदजी मुनि जेसलमेरु आदेशिना इयं प्रशस्ति रचिता । शिलावट विरामके हाथलुं श्रीमंदिरजी वणिया जिणके परिवारने सोनेकी कंठियां तथा कडीकी जोडियां मंदील डुट्टा थांन वगेरे शिरसाव दीना ।। श्रीमंदिरके मूल गुंभारेमें आसेपासे दक्षणकी तर्फ परतापचंदजीकी खडी मूर्ति छ। उत्तरकी परतापचंदजीकी भार्याकी खडी मूरती छे । निजमंदिरके सामने पूर्व की तर्फ पश्चिममुखी चोतरो कराय जिण ऊपर परतापचन्दजीकी त्था भार्यासहित सपरिवार सहीतकी मुरतीयां स्थापित किनी । सम्वत् १९४५ मिति मार्गसिर सुदी २ वार बुध । दशकत सगतमल जेठमलाणी वाफनाका । शुमं । दुहा-अष्टकर्म वन दाहके भये सिद्धजिनचंद । ता सम जो अप्पा गिणे ताकू वंदे चंद ॥ फर्मरोग ओपधसमी ग्यानसुधारस वृष्टि । शिवसुख अमृत वेलडी जय जय सम्यक्दृष्टि ।। . एहाज सद्गुरु सीख छे एहीज शिवपुर माग। .. लेजो निज ग्यानादि गुण करजो परगुण भाग ॥ भेद ग्यान श्रवण भयो समरस निरमलनीर । अन्तर धोबी आतमा धोवे निजगुण चीर ॥ कर दुःख अंगुरी नेनदुःख तन दुःख सहज समान । लिख्यो जात है कठणसुं शठ मानत आशान । ।। इत्यलम् ।।
SR No.010004
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year
Total Pages137
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy