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________________ मूर्ति प्रतिष्ठा के मुहूर्त के विषय में विचार : चैत्रे वा फाल्गुने वापि ज्येष्ठे वा माधवे तथा। माघे वा सर्वदेवानां प्रतिष्ठा शुभदा भवेत्।। -मत्स्य पुराण देवी की प्रतिमा प्रतिष्ठा : देव्याः माघे आश्विने मासे उत्तमा सर्वकामदः । न तिथिर्न च नक्षत्रं नोपवासो अकारणम् । सर्वकालं प्रकर्त्तव्यं कृष्णपक्षे विशेषतः ।। -दैवी पुराण धर्मसिंधुकार के मत सेः दैव्याः माघे आश्विने मासे उत्तमा सर्वकामदः ।। जगदंबा की प्रतिष्ठा केवल आश्विन एवं माघ मास में सर्वाधिक उत्तम रहती है। शत चंडी, सहस्र चंडी एवं लक्ष चंडी के मुहूर्त : com वैशाखः फाल्गुनो माघः श्रावणो मार्ग एव च। आश्विनः कार्तिको मासाः पूजायां तु शुभवाहाः ।।। नव चंडी, शत चंडी, सहन चंडी एवं लक्ष चंडी जैसे जप अनुष्ठान कार्यों में वैशाख, फाल्गुन, श्रावण, मार्गशीर्ष, आश्विन तथा कार्तिक, ये सात महीने श्रेष्ठ हैं। यही महीने गायत्री यज्ञ के लिए भी उत्तम कहे गये हैं। प्रतिष्ठा विधान में ग्राह्य नक्षत्रः आषाढ़े द्वे तथा मूलमुत्तरत्रयमेव च। ज्येष्ठ श्रवण रोहिण्यः पूर्वाभाद्रपदा तथा।। हस्तोअश्विनी रेवती च पुष्यो मृगशिरस्तथा। अनुराधा तथा स्वाति प्रतिष्ठासु प्रशस्यते ।। अत्र आषाढ़े द्वे इत्यनेन उत्तराषाढ़ा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपदत्रयाणां नक्षत्राणां कथनम्।। 95 http://www.Apnihindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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