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________________ कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि तक एवं शुक्ल पक्ष में चंद्रोदयांतर ही प्रवेश करना चाहिए । जीणोद्धार वाले प्रवेश में दक्षिणायन मास शुभ है। सामान्यतः गुरु शुक्रास्त का विचार जीणोद्धार, या पुराने किराये के मकान को छोड़ कर, सर्वत्र करना चाहिए । तीनों उत्तरा, अनुराधा, रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, रेवती, धनिष्ठा, शतभिषा, पुष्य, अश्विनी, हस्त में प्रवेश शुभ है । तिथि और वार शुभ होने पर स्थित ग्रहों की लग्न शुद्धि देख कर, चंद्रमा और तारा की अनुकूलता रहने पर गृह प्रवेश शुभ होता है। पूर्व मुख वाले गृह में सूर्य आठवें से पांच स्थानों में रहने पर वाम रवि होते हैं और दक्षिण मुख के गृह में पांचवें स्थान में सूर्य से पांच स्थान सूर्य में रहने से और पश्चिम द्वार वाले गृह में ग्यारहवें स्थान में सूर्य रहने से और उत्तर द्वार वाले गृह में से पांच स्थान से पांचवें स्थान में वाम रवि होते हैं, तो गृह प्रवेश में वास रवि होना अत्यावश्यक है। कुंभ चक्र में सूर्य के नक्षत्र से पांच नक्षत्र पाप (अशुभ) आठ नक्षत्र अशुभ, फिर 6 नक्षत्र शुभ हैं। सूर्य के नक्षत्र से छठे से 13 वें तक और 22 वें से 27 पर्यंत शुभ कुंभ चक्र में है । पुराने गृह में, जो अग्नि चूने आदि से सुसज्जित करने पर कार्तिक श्रावण मार्गशीर्ष मास में स्वाति पुष्य, धनिष्ठा, शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करें। यहां अस्त आदि का दीर्घ विचार न करें। से जल गया हो, या अन्य किसी कारण से पुनः छा कर, मिट्टी, करने पर कार्तिक श्रावण मार्गशीर्ष मास में स्वाति धन प्रवेश के समय यजमान पुष्प, दीप, दूर्वादल, पल्लव से खास सुशोभित जल पूर्ण घट, दोनों हाथों से ले कर कुमारी कन्या, पंडित, गौ की प्रदक्षिणा कर, नमस्कार कर के घर में प्रवेश करें। उस समय ब्राह्मण वेद का पाठ करें, शंख आदि की मंगल ध्वनि हो और रमणी गण रमणीय मनोहर ध्वनि से मंगल की बूंद बरसाएं। हां, ब्राह्मणी कलश ले कर आगे चले और पीछे यजमान का सकुटुंब चलना भी किसी आचार्य का मत है। पांच सौभाग्यवती तथा कुमारी रमणियां एक-एक कलश लेकर आगे आगे चलें। फिर विप्रवृंद यजमान सकुटुंब चलें यह प्रथा अधिकांश प्रांतों में है। मशीन बिठाने का मुहूर्त : सभी देव प्रतिष्ठा के मुहूर्त मशीन बिठाने हेतु सर्वश्रेष्ठ होते हैं। फिर भी पुष्य नक्षत्र खास कर रवि पुष्य, गुरु पुष्य श्रेष्ठ होते हैं । ज्योतिष के पंचांगों में जिस दिन सवार्थ सिद्ध अमृत योग निकलता है, वह दिन भी नयी मशीन, कंप्यूटर इत्यादि लगाने (बिठाने) के लिए श्रेष्ठ होता है। केवल वार के अनुसार लाभ, अमृत और शुभ के चौघडिये देखने चाहिए। 91 http://www.ApniHindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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