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________________ -- आस्था की ओर बढ़ते कदम महोत्सव मनाने की समिति की स्थापना मालेरकोटला में की थी। फिर मुख्यमंत्री के सचिव के निमंत्रण पर उन्हीं के प्रिंसीपल सचिव श्री एस. पी. वागला से मिले थे। यह मीटिंग बहुत सफल रही। मैंने पुनः लिखा है कि समिति निर्माण के लिए श्री दीवान जी की डयूटी लगा दी थी। अव हम पुनः सरकारी समिति की रूप रेखा में जुट गए। हमारे २५-३० चक्कर चंडीगढ़ में लगे। हम बार वार श्री दीवान साहिब से सचिवालय में उनसे मिलने लगे। उन्हें हमें भी.. भरोसा दिलाना पड़ा, कि हम वास्तव में जैन समाज के प्रतिनिधि हैं हमें समिति के बारे में हर फैसला लेने का अधिकार है। एक दिन श्री दीवान जी ने कहा “आप अपनी सूची तैयार कीजिए। सरकारी सदस्यों की सूची मैं तैयार करता हूं।" कुछ दिन बाद हम दोनों ने एक सूची तैयार की । जिस में श्वेताम्बर-दिगम्बर समाज के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया गया। १. प्रधान उप-प्रधान ३. सचिव यह दोनों सरकार व जैन समाज में वरावर से लेने थे। जैन धर्म के चारों सम्प्रदायों का किस प्रकार प्रतिनिधत्व हो, उस के बारे में फैसला लेना था। श्वेताम्बर समाज व श्री महावीर निर्वाण शताब्दी संयोजिका समिति पंजाब के सदस्य तो हम बता सकते थे परन्तु दिगम्बर समाज का प्रतिनिधित्व हमें मिल नहीं रहा था। दिगम्बर समाज से पत्र व्यवहार हुआ। दिगम्बर जैन समाज ने चंडीगढ़ के एक वरिष्ठ वकील का नाम सुझाया। जिस का नाम हम ने सरकार को दिया। दूसरा हम ने अपनी समिति में पंजाब के वरिष्ठ जैन संतों के विशिष्ट arm समाज
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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