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________________ -आस्था की ओर बढ़ते कदम साधारण ट्रेन से देहली पहुंचे। पहले स्वः साध्वी महेन्द्र कुमारी के दर्शन किये। वहां फालतु सामान रखा। फिर रशिया - ७२ प्रर्दशनी देखी। उस जमाने में रूस का मण्डप सब से आकर्षित था वहां चंद से लाई गई मिट्टी के कण रखे गए धे। हर देश का अपना मण्डप था, हर प्रदेश का अपना स्थल था। एक स्थल को देखने के लिए बहुत समय चाहिए था, पर हम तो मात्र २-३ दिन में काफी देखना चाहते थे। उपने समय के अनुसार हमने यह प्रदर्शनी देखी। दिन में खाना खाया। शाम को हम आगरा जाने वाली ट्रेन में बैटे। उस समय आगरा में जैन जगत के प्रसिद्ध उपाध्याय श्री अमर मुनि जी विराजमान थे। हम सुवह पहुंचे। जिस स्थान परं हम गए उपाध्याय श्री अमर मुनि जी के दर्शन न हुए। उन के गुरू वयोवृद्ध आचार्य स्वः श्री पृथ्वीचंद जी म० के दर्शन हुए। वहां स्नान किया। फिर उस पर आए जहां कवि श्री विराजमान थे। कवि जी एक क्रांन्तिकारी संत थे. वैदिक, बौद्ध व जैन धर्म पर उन का समान अधिकार था आप ने हिन्दी साहित्य में १०० से ज्यादा पुस्तकें प्रदान की हैं। वीरआयतन राजतृह आप की देन है। उस समय आप श्री उतराध्ययन सूत्र का सम्पादन करवा रहे थे। उनके रास श्री श्री चन्द्र सुराणा आरा वैठे थे। हमारी उनसे प्रथम मुलाकात थी। इस भेंट में हमने उनकी एक हिन्दी पुस्तक महावीर सिद्धांत व उपदेश) का पंजाबी अनुवाद करने की आज्ञा मांगी थी। उनका आशीर्वाद अंतिम क्षण तक हमारे साथ हा। उन्होंने सहर्ष आज्ञा प्रदान की। आगरा में फिर ताज महल देखा। ताज के बाद दयाल बाग देखा। वापसी नथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि देखी। वापिस शाहदरा में एक रेश्तेदार के यहां रूक कर अपने मुनि आचार्य श्री सुशील कुमार जी के दर्शन किए, जो के अंतराष्ट्रीय स्तर के संत थे बाद में 53
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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