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________________ - વાસ્યા on ગોર લહd o૮મ संगमरमर की कई विशाल प्रतिमाएं हैं जो कि कला का देजोड़ नमूना हैं। खरतरवसही - पार्श्वनाथ मन्दिर : पीतलहर मन्दिर के वाई ओर वना यह मन्दिर काफी विशाल है। जैन धर्म में श्वेताम्बर समाज के ८४ गच्छ हैं। इन में खरतर गच्छ का इतिहासक स्थान है। इस गच्छ की साहित्य कला को बहुत बडी देन है। इसका प्रमाण यह मन्दिर व इसके निर्माणकर्ता श्रावक माण्डिलक हैं। यह पालीताना तीर्थ में भी खरतरदसही है। यह मन्दिर तीन मंजिला है इसके चारों ओर चहुं दिशाओं की ओर प्रभु पार्श्वनाथ की चार प्रतिमाएं विराजमान हैं। इसी लिए इसे चौमुखा मन्दिर भी कहते हैं। इस मन्दिर की प्रतिष्टा संवत ६:१५ आषाढ़ कृष्णा १ को आचार्य श्री जिनचन्द्र सूरी जी ने अपने कर कमलों से की थी। नन्दिर का शिखर सुरग्य है। मल नायक की प्रतिमा श्वतेवर्ण की है। परिकर कलात्मक है। नन्दिर की बाहरी दीवारों पर दिगपालों और रित्रीयों की श्रृंगारिक शिल्प कृतियां प्रस्तुत की गई हैं। खरतरवसही को कारीगरों का मन्दिर भी कहा जाता है। इसक निर्माण शिल्पीयों ने वाकी वची सामग्री से श्रद्धावश अपना शिल्प प्रस्तुत करने के लिए किया था। मन्दिर की देख रेख सेट आनंद जी कल्याण जी पेढी करती है। मांउट आबू पर्यटन स्थल है। यह आबू रोड से ३८ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां ठहरने के लिए होटल व धर्मशालाओं की सुन्दर व्यवस्था है। इससे ६ किलोमीटर दूर गोमुख है और आगे जाने पर वशिष्ट ऋषि का आश्रम व श्री हनुमान मन्दिर है। एक हजार सीढ़ीयां चढ़ने पर गोमुख तक पहुंचा जा सकता है। यहां सूर्य उदय 482
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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