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________________ -आस्था की ओर बढ़ते कदा की प्रतिमा स्थापित है। दोनों गोखलें देवरानी व जेटानी के प्रेम का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। दोनों का शिल्प एक सा है। इनकी की देहरीयां को देखने से लगता है कि शिल्पकार ने इनमें प्राण फूंक दिए हों। इस मन्दिर में ५२ देहरीयां हैं। यहां की हरितशाला में १० हाथी हैं। मन्दिर के रंग मंडप में पहुंचते ही हमें कला की अनूटी उदाहरण देखने को मिलती है। गुम्बज के मध्य में लटकता झुमका रीक विन्दु प्रतीत होता है। मन्दिर की शत वमिसाल है। हर तरफ शिल्पकला के अनूटे नमूने प्रस्तुत होते हैं। प्रत्येक स्तंभ पर १६ विद्या देवीयां अपने वाहनों सहित खड़ी हैं। चारों ओर कलात्मक तोरण दर्शक का मन मोह लेते हैं। रंग मंडप के दक्षिण की ओर दीवारों और छतों पर श्री कृष्ण जी के जन्म का दृश्य अंकित किया गया है। माता शयन कर रही है। पास ही उस कारागृह को अंकित किया गया है जहां श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। कृष्ण की वाल लीलाओं में उनका गोपाल मित्रों के साथ भ्रमण अंकित किया गया है। यह कार्य नक्काशी व शिल्प का उत्कृष्ट प्रमाण है। रंग मण्डप के आगे नव चौंकी है। यहां की ६ छतों पर प्रत्येक में श्रेष्टत्म नक्काशी का आश्चर्यजनक शिल्प है। संगमरमर में ऐसे सुन्दर पुष्प गुच्छ उभर आए हैं, जैसे न पहले दिखते हैं न आगे दिखेंगे। मन्दिर की परिक्रमा में ५२ देहरीयां हैं जिनके परिकर एवं गुम्बज में कला की वारीकीयां प्रस्तुत की गई हैं। देहरी १ से १० तक क्रमशः अंविका देवी की प्रतिमा, पुष्प नृतीयां, पंच कल्याणक, हंस के कलात्मक पट्ट, द्वारिका के दृश्य व समोसरण का दृश्य. मन. को लुभावने वाला है। ११वें गुम्बज में ७ पंक्तियां हैं। हाथी, घोड़े, नाट्यकला भगवान नेमिनाथ जीवन प्रसंग, विवाह, वैराग्य, 480
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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