SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 469
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आस्था की ओर बढ़ते कदम प्रतिमाएं हैं। इसी ट्रंक में तीर्थंकर ऋषभदेव माता मरुदेवी का मन्दिर है । इस मन्दिर के पीछे पांडव मन्दिर है। जिस में पांच पांडव, कुन्ती व द्रोपदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं 1 ३. तीसरी टॉक का निर्माण छीपा भाइयों ने करवाया था । उनके नाम से इसे छीपावसही टोंक कहते हैं। सं. १७६१ में निर्मित इस मन्दिर में आदिश्वर नाथ मूलनायक के रूप में विराजमान हैं । ४. चौथी टोंक साखरवसही है। सेट साखर चन्द प्रेम चन्द द्वारा सं. १८६५ में इस टोंक पर भगवान ऋषभदेव, चंद्रानंन, वारिपेण व वर्द्धमान शाश्वत तीर्थकारों की प्रतिमाएं विराजित हैं। छटी छीपावसही टोंक का निर्माण छीपा भाई द्वारा सं. १८८६ में हुआ था। यहां मूलनायक द्वितिय तीर्थंकर श्री अजीतनाथ हैं। I . با ६. सातवीं सेवावसही टोंक है। मोदी श्री प्रेमचन्द्र लवजी द्वारा इस इसका निर्माण सं. १८४३ में हुआ । इस में मूल नायक प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव हैं । ७. आठवीं वालवसहीं ट्रंक है। मन्दिर का नव निर्माण सं ११८३ में वाला भाई द्वारा हुआ है। इस में मूलनायक आदिनाथ परमात्मा विराजमान हैं। ८. नवम टोंक मोतीशाह की है। सेट मोतीशाह ने विशालतम मन्दिर का निर्माण सं १९६३ में करवाया था । मन्दिर में कई छोटे बड़े मन्दिरों का भव्य समूह है। यहां मूलनायक भगवान ऋषभदेव हैं। प्रेम वसहीं ट्रंक के पास एक विशेष मन्दिर बना हुआ है । इस में प्रभु ऋषभदेव के १८ फुट उंची पद्यासन प्रतिमा विराजमान है। इसे अद्भुत वावा कहते हैं । शत्रुंजय पर्वत की कुछ ट्रंक में तीर्थ... ऋषभदेव 469
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy