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________________ CPNARY - आस्था की ओर बढ़ते कदम. धर्म में सहधर्मी की सेवा इतनी महान मानी गई है कि यह तीर्थकर नाम कर्म गोत्र का कारण मानी गई है। इस सहधर्मी भावना के कारण सभी जैन एक दूसरे का ध्यान रखते हैं। यह विशेषता जैन धर्म में पाई जाती है। मैंने जहां अहमदावाद की यात्रा की थी। वहां मैंने उन लोगों से आस पास के पर्यटन स्थलों पर जाने का कार्यक्रम बनाना था। जो जैन गुजरात आए, वह पालिताना सिद्ध क्षेत्र की यात्रा न करे, यह असंभव है। वैसे भी गुजरात, राजस्थान में जैन धर्म की जड़ें इतनी गहरी हैं कि वर्तमान सभ्यता इसे प्रभावित नहीं कर सकी। मैंने श्री जय चन्द्र जी महाराज से गुजरात के प्रसिद्ध स्थलों की जानकारी प्राप्त करनी थी। उन्होंने मुझे जानकारी ही उपलब्ध नहीं करवाई वल्कि मार्ग दर्शन भी किया। मेरी आगामी तीर्थ यात्रा का कार्यक्रम बना दिया। मैंने दो दिन अहमदाबाद प्रवास किया। कला, धनं, साहित्य का त्रिवेणी संगम यहां पर कण कण देखने को निला। गुजरात के जैन हिन्दु, सिक्ख धर्म के ईलावा ईसाई वस्लिम व पारसी व्यापक संख्या में रहते हैं। सारे अपनी नापा कला व संस्कृति को गुजरात की दृष्टि से देखते हैं। अहमदाबाद में जैन साहित्य हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, गुजराती द अंग्रजी भाषा में प्रकाशित होता है। अहमदाबाद में जैन साहित्य के अतिरिक्त दूसरे धमों का साहित्य गुजराती व अंग्रेजी में मिल जाता है। . इस प्रकार अहमदावाद प्रवास का समय टीक ढंग से गुजरा। गुजरात की संस्कृति की अहमदावाद में देखने को मिल जाती है। गुजरात में सब से ज्यादा प्रेम यह लोग अपनी भाषा व संस्कृति से करते हैं। सभी भाषाओं के ग्रंथों का लिपियांतर भी गुजराती में मिल जाता है। जैसे कल्पसूत्र 158
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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