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________________ प्रकरण १५ मेरी तृतीय तीर्थ यात्रा अहमदाबाद इतिहास दर्शन आस्था की ओर बढ़ते कदम जैसे मैंने पिछले प्रकरण में उल्लेख किया था कि मैं कुछ यात्राएं अपने धर्म आता श्री रविन्द्र जैन के साथ की श्री कुछ उल्लेखनीय यात्राएं मैंने सपरिवार की थी। इन यात्राओं के कारण मुझे धर्म में सम्यकुत्व प्रदान करने वाले मुनि श्री जयचन्द जी महाराज के दर्शन का लाभ मिला था । उनका चर्तुमास अहमदाबाद में था। इस अहमदावाद का प्राचीन नाम कर्णावती था। यह दिल्ली से ८८६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । गवारहवीं सदी में श्री कर्णदेव ने इस नगरी की स्थापना की थी। पहले इस का नाम आशपल्ली था। यह नगर वैभव सम्पन्न था। इस नगर ने बहुत उतार चहाव देखे हैं । मुसलमानों ने इसे अहमदाबाद नाम दिया | यह नगर भारत का विशाल जैन जनसंख्या वाला नगर है 1 यहां २२५ जिन मन्दिर हैं। यह नगर जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र है। यहां का सब से प्राचीन जैन मन्दिर चेहरी वाड़ है । यह मन्दिर प्रभु संभवनाथ को समर्पित है। यह ११ हस्तलिखित भण्डार हैं । अनेव शालाएं, प्रकाशन संस्थाएं इस नगर की शान हैं। हस्तलिखत भण्डार में हजारों वर्ष प्राचीन ग्रंथ का संकलन है । अनेकों शोध संस्थाएं इस नगर ने जैन धर्म को दी हैं। . 453 अहमदाबाद का प्रमुख आकर्षण दिल्ली दरवाजे के बाहर सेट हटी सिंह की वाडी मन्दिर प्रमुख तीर्थ स्थान है । यह भव्य मन्दिर सेठ हटी सिंह ने बनवाया था। यहां के भण्डारों में अनेकों हस्तलिखत ग्रंथों का विपुल संग्रह है ।
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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