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________________ સામ્યા છે. વોર હતો . धर्म का व्यक्ति वहां देखा जा सकता है । फिर हम दरगाह से वाहर आये, इन खादिमों ने हमें अपना नाम दर्ज करने के लिये कहा, फिर उन्होंने ख्वाजा के लंगर के लिये दान मांगा, हमने यथा शक्ति दान दिया । फिर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा देखा । यह मस्जिद एक प्राचीन खण्डहरों से बनाई गई है । ऐसा इसके शिल्प से लगता है । हमने दो स्थान एक ही रात्रि में देखे । खवाजा की दरगाह के वाद हम दादावाड़ी पहुंचे । यह दादावाड़ी प्राचीन चमत्कारी जैन आचार्य का समाधिस्थान है । जैसे अजमेरी ख्वाजा के यहां आकर मन की मुरादें पूरी होती हैं, उसी तरह वह रथल भी मन की मुरादें पूरी करने वाला है । रात्रि हो चुकी थी । हम अजमेर के बाजार में घूमना चाहते थे, पर सबसे पहले एक होटल में कमरा लिया, वहां अपना सामान टिकाया, फिर गर्मी से मुक्ति पाने के लिये स्नान किया । रात्रि का खाना खाने और वाजार में चहल कदमी करने निकले । भूख ज्यादा लगी थी, मारवाड़ी होटल में खाना खाया, फिर अजमेर के तंग बाजारों की रौनक देखी, अजमेर रौनक वाला शहर है । सारे वाजार में सबसे ज्यादा रौनक हमें खवाजा की दरगाह वाले बाजार में लगी । रात्रि को बाजार में पुलिस का व्यापक प्रवन्ध होता है । इस वाजार में यात्रियों के लिये होटल, गैस्ट हाऊस व धर्मशालाएं हैं । दरगाह में चढ़ाने वाली चादर, फूल व प्रशाद की दुकानें हैं । खवाजा का लंगर शुद्ध शाकाहारी होता है । ऐसा दरगाह के खादिमों ने बताया । लम्वी थकावट के वाद हन वापिस होटल में आये । यहां खूब नींद आई, सुवह को हमने सबसे पहले पुष्कर तीर्थ की यात्रा की । राजस्थान की यह सबसे बड़ी कृत्रिम झील है । हर जगह पंडे पुरोहितों के झुंड घूम रहे थे । सबसे ज्यादा रौनक ब्रह्मा जी के मन्दिर में 432 -
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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