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________________ = आस्था की ओर बढ़ते कदम से प्रभावित थे। आप ने पुराने व नए क्षेत्रों में धर्म प्रचार किया। अधिकांश पुराने साधु साध्वी आप द्वारा दीक्षित हैं। तेरापंथ संघ में अच्छी वढोतरी हुई। आप ने सभी विरोधों को हंस कर सहा। आप गुणों का भण्डार थे। आगम मर्मज्ञ थे। आप ने दीक्षा संबंधी कानून के बारे में त्तकालीन समाज सरकार को विश्वास में लिया। आप के शिष्य शिष्याओं की संख्या और उनका अर्जित ज्ञान, दोनों ही आप की महानता को दर्शाते हैं। __ नवम आचार्य तुलसी जी व वर्तमान आचार्य महाप्रज्ञ जी आप के गुण गाते नहीं थकते थे। वह अपनी सारी उपलब्धियों का श्रेय आप को देते हैं। आप का यश तेरामंथ का ही नहीं समस्त जैन धर्म का यश है जो सर्वत्र व्यापत है। आप का स्वर्गवास ६० वर्ष की आयु में संवत् १९६३ को भाद्रपद शुक्ला ६ को हुआ। नवम आचार्य, युग प्रधान, गणधिपति आचार्य श्री तुलसी जी : जैन धर्म में तेरापंथ सम्प्रदाय को अपनी अलग पहचान दिलाने वाले अंर्तराष्ट्रीय संत आचार्य श्री तुलसी जी का जन्म २० अक्टूबर १९१४ को लाडनू के एक संपन्न जैन परिवार में हुआ। सारा परिवार धार्मिक था। माता पिता भाई वहन सभी धर्म के प्रति समर्पित थे। उन्हें घर में दीक्षा के योग्य वातावरण सहज रूप में प्राप्त हुआ। पिता के स्वर्गवास के बाद आप को संसार में विरक्ति हो गई। घर वालों ने आप की दीक्षा का कुष्ठ विरोध किया पर आप आचार्य कालुगणी जी की शरण में आ गए। वह अल्पायू में ही कवि, आगम मर्मज्ञ, वैयाकरण, बहुभाषा विध वन गए। उन्होंने जैन तेरापंथ धर्म संघ में फैला 37
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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