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________________ – વાસ્થા વોર વઢો રુદ્રમ महत्व रखता है. क्योंकि नवकार मंत्र में ६ की संख्या प्रमुख है । ६ का अंक अखण्ड, माना जाता है । - उस दिन १३० तपस्वी थे । इनमें अधिकांश महिलाएं थी, पर कई पति-पत्नियों तपस्वी जोड़ों के दर्शन करने का सौभाग्य मिला । कभी-कभी उपवास करना कठिन है, पर यह तो आलौकिक तप महोत्सव था । हमने हर तपस्वी को प्रणाम किया, कुछ साधु-साध्वियों के पारणे भी थे जो ज्यादा गुजरात से थे । इनके दर्शन किये । मंगल पाट सुना, फिर भोजनशाला से दोपहर का भोजन किया । करीव तीन वजे हम यहां से रवाना हुए. । .. यहां से वापसी मुजफ्फर नगर होते हुए, हम यमुनानगर . पहुंचे । जहां मैं कुछ समय के लिये मैं अपने रिशतेदारों से मिला । अव वापसी पटियाला के रास्ते से रात्रि के दो वजे मैं अपने निवास धूरी पहुंचा । रास्ते में मुजफ्फर नगर, खतौली, देववंध, सहारनपुर जैसे इतिहासिक शहर आये । ___ तव से अनेकों वार हस्तिनापुर की यात्रा कर चुके हैं .. ! कभी हरिद्वार के करीव होने से, कभी देहली से हस्तिनापुर पहुंचे । हर वार इस तीर्थ की तरक्की देखी, लोगों की भीड़ वढ़ी है, नये-नये निर्माण हो रहे हैं । जव पहली यात्रा की __ थी तव यहां से गंगा नदी दूर थी । करीव सात किलोमीटर दूरी पर कुछ एक हिन्दू धर्म के मन्दिर हैं क्योंकि इस शहर का सम्बन्ध महाभारत से भी रहा है । उस समय के किले की दीवारें व खुदाई के चिन्ह, वालाश्रम के टीले के पीछे देखे जा सकते हैं । हमारी हरिद्वार दिल्ली यात्रा : जीवन में कुछ क्षण ऐसे होते हैं, कुछ काम ऐसे होते हैं, जिन्हें करने से आत्मा को प्रसन्नता होती है । ऐसी ही 411
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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