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________________ ........... ..... ... और ब.. .... किया । ५, ६, ७ चक्रवती १६, १७, १८ तीर्थकर ६, र में पैदा हुए । चौथे चाली सनतकुमार थे । वीसवें तीर्थकर मुनि सुव्रत के समय गंगदत गृहपति च कार्तिक सेट इली नगर के थे । जो मरकर देवलोक गये । इस समय विष्णु कुमार मुनि ने श्री सुव्रताचार्य से दीक्षा ग्रहण की । यहां का राजा नमूचि था । नमूचि जैन साधुओं से घृणा करता था । एक वार सुव्रताचार्य ७०० साधुओं सहित पधारे । नमूचि ने मुनियों को सात दिनों के अन्दर निकलने का आदेश दिया । विष्णुमुनि ने पैर टिकाने के लिये तीन पग पृथ्वी मांगी । राजा नमूचि इस बात के लिये मान गया । मुनि विष्णु कुमार ने एक पग से सारी पृथ्वी को मापा, फिर दोनों पैरों से लवण समुद्र को माप लिया । तीसरा पांव उन्होंने ननूचि के सिर पर रखा, जिससे मुनि संघ का कप्ट टला । इस दिन का नाम रक्षा बंधन पड़ा। २२वें तीर्थंकर श्री अरिष्टनेमि के एक भव में यहां का राजा शंख धा, उसके पिता शंख ने राज्य त्याग मोक्ष प्राप्त किया । __ भगवान अरिष्टनेमि के समय यहां दमदत्त मुनि हुए, जिन्होंने कठिन तप कर मोक्ष प्राप्त किया । यह वल, महावल ने दीक्षा ग्रहण कर देवलोक प्राप्त किया । प्रभु महावीर आयु के ५७वें वर्ष में मिथिला से विहार करते हुए हस्तिनापुर पधारे थे । वहां के राजा शिव ने अपने पुत्र को राज्य देकर संयम ग्रहण किया । प्रभु महावीर का यहां अपने शिष्य गणधर गौतम से वार्तालाप हुआ था । . ___ यहां ही पोटिल श्रावक व उसकी ३२ पत्नियों ने संयम ग्रहण कर देवगति प्राप्त की । तीर्थ दर्शन : इस धरती पर इतिहास ने अपने को बहुत वार 402
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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