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________________ - आस्था की ओर बढ़ते कदम महावीर तथा शाश्वत जिनश्री ऋषभानन्द, चंद्रानन, वारिषेप्.. वर्धमान आदि की नई टोकों का निर्माण हुआ । कालचक्र के प्रवाह से इस पर्वत पर एक और संकट आया । पालगंज के राजा ने पहाड़ बेचने की सार्वजनिक घोषणा की । सूचना पाकर कलकत्ता के रायवहादुर श्री बद्रीदास जौहरी एवं मुर्शिदावाद के श्री वहादुर सिंह दुग्गड़, अतिरिक्त भारतीय श्वेताम्वर संस्था आनन्द जी कल्याण जी पेढी को यह पहाड़ खरीद करने का संकेत किया । दोनों महान आत्मा के सक्रिय सहयोग से इस पेढी ने यह पहड़ ६.३.१६१८ को २४२२००० रुपये में क्रय किया, तवसे इस पहाड़ का प्रबंध से यह पेढ़ी करती है । साध्वी श्री सुषमाजी के अनधक प्रयासों से संवत २०१२ में इस तीर्थ का पुनः जीर्णोद्वार हुआ जो संक्त २०१७ में पूर्ण हुआ । यह २३वां जीर्णोद्वार था । आज इस तीर्थ पर जो हन देख रहे हैं, सब इस जीर्णोद्वार का फल है, इसका विस्तार है । . इस पावन तीर्थ की यात्रा संकटहारी, पुण्यकारी और जन्म जन्म के पाप विनाश करती है । लगभग ५ कि.मी. की चढाई पर गंधर्वशाला है । यहां यात्री विश्राम करते हैं, यहां भाताघर (नाश्ता) है । यात्रियों को नाश्ता मिलता है । यहां से २ कि.मी. दूरी पर ५०० सीढ़ियां चढ़ने के बाद समतल भूमि आती है । इसके आगे यात्रा शुरू होता है । वहां पार्श्वनाथ स्टेशन से समाज की वस मुफ्त चलती है । देते सव यात्री पैदल चलने में पुण्य मानते हैं । वैसे यहां डोली का इंतजाम दोनों धर्मशालाओं में है । यहां बीसपंथी, तेरापंधी कोठी धर्मशालाएं हैं । श्वेताम्बर कोठी धर्मशाला काकी प्राचीन है । इस तीर्थ का संचालन सेट आनन्द जी कल्याग जी पेढी अहमदाबाद के जिम्मे है । पहाड़ की सारी सम्पति 347
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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