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________________ आस्था की ओर बढ़ते कदम है । दूरी ३६ कि.मी. है। पटना से ५४ कि.मी. दूर बिहार शरीफ हम राजगिरि के लिये रवाना हुए, वह प्राचीन राजगिर जहां भगवान महावीर सैकड़ों वार ठहरते थे, जिसका आगमों के स्थान पर सबसे ज्यादा वर्णन है । राजगिर के रास्ते में इतिहासिक सूफी संत का स्थान पड़ता है । जिसे विहार के शरीफ के नाम से पुकारा जाता है । हम लोग विहार के मध्य में जा रहे थे, दो घण्टे के लम्बे सफर के वाद हम विहार शरीफ उतरे । सारे विहार में इस मुस्लिम फकीर की पूजा होती है । लोग इसकर मजार के पास मानता का धागा वांधते हैं । पूरा होने पर धागा खोल जाते हैं, पर जनसाधारण की आस्था का केन्द्र है । सूफी सन्तों का मनवता के प्रति प्रेम संसार को नये मार्ग का संदेश देता रहा है । ! हम इस शहर में उतरे मजार के पास आये, चारों तरफ सूफी संतों के स्मारक थे, हरे कपड़े के ध्वज लहरा रहे थे, चिराग जल रहे थे, प्रशाद की दुकानें थीं, फूलों व कपड़ों की चादरें चढ़ाने की दुकानें थीं । हमने भी उस फकीर की मजार पर हाजिरी दी । हमें जन-साधारण से सम्पर्क करने का अच्छा माध्यम मिला । पता नहीं यह लोग जैन यात्रियों की इतनी इज्जत क्यों करते हैं । जन साधारण में जैन यात्रियों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है । यह शहर इतना बड़ा नहीं पर्यटन स्थल के रूप में इसकी मान्यता विहार में ही नहीं. समस्त विश्व भर में है I हम यहां के वाजारों में घूमे । यहां विहार के पिछड़ेपन के दर्शन हुए, गरीवी रेखा के नीचे रहते लोगों को करीब से देखने का अवसर मिला । यहां अविद्या के कारण अज्ञानता 301
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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