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________________ -आस्था की ओर बढ़ते कदम वैशाली में अशोक का स्तूप लाल पत्थर का बना हुआ है, जिसे देखने हजारों सालों से लोग आते हैं । जैन धर्म से सम्बन्धित एक स्तूप जन्म स्थान पर स्थित है, जहां कमलाकार में चरण वने हैं, हम वहां गये । प्रभु महावीर के जन्म स्थल को प्रणाम किया, क्योंकि यह विद्वानों द्वारा मान्य है । वहां के चित्र हमने खींचे, फिर यही चित्र हम पहले म्यूजियम के ले चुके थे । फिर वैशाली जैन शोध संस्थान के चित्र भी लिये । फिर हम उस स्थान पर गए, उसके कण-कण का निरीक्षण किया जहां प्रभु महावीर का छोटा सा मन्दिर है । यह क्षेत्र हरा भरा है । यहां केला खूब होता है, ताड़ के वृक्ष वहुत हैं । वैशाली का कण-कण खण्डहरों से भरा पड़ा है । हर कण-कण की अपनी कहानी है । वह उस दिशाल विनाश का दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जिसका वर्णन भगवती सूत्र व निरयावालिका सूत्र में वर्णन किया गया है । वौद्ध ग्रन्थों में इस विनाश का वर्णन है । बौद्ध ग्रन्थों में कोणिक को अज्ञातशत्रु कहा गया है जो उनका विशेषण है । मात्र एक हाथी और नौलखा हार के लिये उसने अपने दस भाईयों समेत अपने नाना चेटक को मार डाला । असंख्य सैनिक घोड़े, हाथी इस रथ इस युद्ध में काम आए । आठ किलोमीटर के घेरे में एक मैदान साफ किया गया । दोनों ओर की सेनाएं लड़ीं, वैशाली का विनाश हो गया । यही कहानी वैशाली के कंकर-पत्थर कहते हैं । __हम आगे बढ़ रहे थे, शाम होने जा रही थी, गर्मी में सूर्य देर से अस्त होता है, इसी कारण हम शाम तक वैशाली घूमे । फिर यहां की नगरवधु आम्रपाली के उद्यान में घूमे । वैशाली की नगरवधु भगवान बुद्ध के दर्शन करने यहां आई थी, उसने भगवान बुद्ध से प्रार्थना की कि प्रभु आप मुझ 298
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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