SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 267
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - आस्था की ओर बढ़ते ददग इसी परम्परा का निर्वाह आज भी होता है। इसे पंजाद के लोक गीत का भाग भी माना जाता है। . यह मेला दिसंबर में आता है। भयंकर सर्द में लोग अपने शहीदों को नहीं भूलते। सच्च भी यही है कि व्ही कौमें जिंदा रहती हैं जो अपने शहीदों को याद रखती हैं। इसी स्मृति में यह भव्य आयोजन होते हैं। जिस में राजनैतिक, धार्मिक व समाजिक संस्थाएं बढ़ चढ़ कर भाग लेती हैं। हमारा सम्मान समारोह आयोजन का भाग था। भाषा विभाग के सभी अधिकारी, कर्मचारी इस आयोजन में लगे थे। इस भव्य समारोह में भाषा विभाग पंजाब ने हमारे सम्मान किया। समारोह आयोजक ने सर्व प्रथम यह दया गया कि भाषा विभाग पंजाब आज पंजाब के इन दो नैन विद्वानों को प्रस्तुत करने जा रहा है जिन्होंने गत २५ वर्षे से जैन ग्रंथों को पंजावी भाषा में २५०० वर्ष का इतिहास में पहली वार ५० पुस्तकों के माध्यम से प्रस्तुत किया है ! वह प्रयत्न संसार के इतिहास में पहली बार हुआ है। इन दो विद्वानों ने जीवन का एक भाग पंजाबी जैन साहित्य को समर्पित किया है। हम पंजाब सरकार व भाषा विभाग पंजाव की ओर से इनका सम्मान करके स्वय को गौरवान्वित महसूस करते हैं। इस समारोह के सभापति प्रसिद्ध उद्योगपति व पनसप के चेयरमैन स० कृपाल सिंह लिवड़ा थे। उन्होंने मेले के प्रथम दिन मेले में स्थापित सभी प्रदर्शनीयों का उद्घाटन किया। उन प्रदर्शनीयों को देखा। फिर मंच पर विराजित हु। समय कुछ समय के लिए ल्क गया। हमारे नाम मंच पर आने के लिए श्री हसीजा ने पुकारा। हम मंच पर आये तो डायरैक्टर साहिब व मुख्य अतिथि ने हमारा सम्मान किया। हमें विशिष्ट अतिथि के साथ विठाया गया। 263
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy