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________________ - आस्था की ओर बढ़ते कदम वर्तमान पंजाब की ग्रामीण संस्कृति भारत वर्ष प्राचीन काल से ही गांवों का देश कहलाता है। आज भी देश की अधिकांश जनसंख्या गांवों में रहती है। गांवों में प्रमुख धंधा कृषि है। दूसरे घरेलू काम काज भी इस काम के अंग हैं। जिस क्षेत्र में हम रहते हैं इसे वेदिक ऋषियों ने आर्यवर्त देश कहते थे। आर्यवर्त में सप्तसिन्धू प्रदेश पडता था जिस में सारा पाकिस्तान, पंजाव, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, अफगानिस्तान, राजस्थान व कुछ भाग जम्मू व कश्मीर का क्षेत्र पडता था। इस में सात नदीयां वहती थी। समय बीता सिन्ट्र देश अलग माना जाने लगा। बाकी प्रदेश का नाम पंचनद देश पडा। मुसलमानों ने इसी पंचनद को पंजाव का नाम देया। सिन् पूरथान को हिन्दूस्तान नाम मिला। वैदिक काल से लेकर आज तक पंचनद देश के गांवों का जीवन प्राचीन काल जैसा है। एक नजर देखने से लगता है कि हजारों वर्ष के आक्रमण भी इस सभ्यता पर कुछ असर नहीं डाल सके। विभिन्न धमों, समुदायों में बंटे लोग फिर मानिसक वृति से धार्मिक हैं। आधुनिक सभ्यता, जिसे हम पश्चिम की सभ्यता कहते हैं इसका प्रभाव गांवों में आया जरूर है पर गांवों पर कोई विशेष असर नहीं छोड़ सका। प्राचीन सभ्यता से गांवों को इकाई माना जाता है। __ हमारे गांव सभ्यता व संस्कृति का जीवन रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। इन्हीं कारणों से चौधरी परिवार ग्रामों में निक्षपक्ष परिवार माना जाता है। इस कारण उन्हें परिवार में आदर की दृष्टि से देखा जाता है। हमारा परिवार गांवों में चौधरी परिवार था। मेरे वावा श्री नाथ लान की लोग 19.
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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