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________________ आस्था की ओर बढ़ते कदम कहा "आप का श्रम इस योग्य है कि इस ग्रंथ का विमोचन भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी करें। आप कहो तो मैं अपने साथी श्री ओ.पी. आनंद दिल्ली से मिलवाता हूं। वह आपको राष्ट्रपति भवन ले चलेंगे ।" इस तरह यह ग्रंथ लम्बे परिश्रम के बाद राष्ट्रपति भवन में श्री ओ. पी. आनंद द्वारा पहुंचा। यह भेंट एक यादगार भेंट थी । फिर राष्ट्रपति जी से समय लेने का कार्यक्रम चला। सौभाग्य से आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज दिल्ली में विराजमान थे। मेरे धर्मआता रविन्द्र जैन ने श्री गुरचरण सिंह ढिल्लों तत्कालीन सचिव राष्ट्रपति भवन से अच्छा संपर्क बना लिया । बड़े लम्बे अंतराल के बाद २६ फरवरी १६८७ को इस ग्रंथ का विमोचन भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी ने राष्ट्रपति भवन में एक सादे समारोह में किया। इस अवसर पर हम दोनों को 'श्रमणोपासक' पद से विभूषित किया गया। साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज को ज्ञानी जी ने 'जैनज्योति' पद से विभूषित किया | इस ग्रंथ के विमोचन का समाचार सारे समाचार पत्रों में आया। दूरदर्शन जालंधर ने वजट की खवर रोक कर इस समाचार को प्रसारित किया। यह समारोह आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज के नेश्राय में सम्पन्न हुआ। इस में साध्वी आचार्य डा० साधना जी महाराज अपने शिष्य मण्डली सहित पधारी थी। ५० के करीव मेहमान पधारे। इन में कुछ आचार्य श्री के विदेशी शिष्य थे । इस समारोह को सफल करने में मेरे धर्मभ्राता रविन्द्र जैन जी ने श्रम किया । यह मेरा सौभाग्य था कि मुझे व मेरे धर्म भ्राता को पहली बार राष्ट्रपति भवन में सन्मानित किया गया। इस अवसर पर एक पुस्तक श्रमणोपासक 203
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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