SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आस्था की ओर बढ़ते कदम करने का वर्णन उपलब्ध होता है । यह अंग भारतीय इतिहास पर महत्वपूर्ण सूचना प्रदान करता है । द्वितीय अंग पुफीयां, तृतीय कप्पबडिया, चर्तुथ पुफचुलिका, पांचवा वणदीसा के नाम से प्रसिद्ध है। इन उपांगों में कुछ प्राचीन श्रमणों की परम्परा, भगवान नेमिनाथ व भगवान पार्श्वनाथ के समय के भिक्षुओं का वर्णन उपलब्ध होता है। इस का विस्तृत वर्णन हिन्दी निरयावलिका में किया जाऐगा। ज्ञाताधर्म कथांग ८: यह ग्रंथ प्राचीन जैन कथाओं का संग्रह है। यह मूल आगमों में सूत्र कथानकों का संग्रह है । इस में कुछ प्राचीन इतिहासक कथाएं मिलती हैं। इस में द्रोपदी का प्रकरण भगवती मल्ली नाथ का इतिहासक वर्णन व भगवान महावीर की बोध कथाएं उपलब्ध होती हैं । इस ग्रंथ से हमें पता चलता है कि प्राचीन काल से भारत का व्यापार समुद्र पार देशों से होता था । जैन श्रावकों के जीवन पर अच्छा प्रकाश पड़ता है। प्राचीन धार्मिक परम्पराओं के बारे में सम्प्रदाय का वर्णन मिलता है। | इस प्रकार हम दोनों ने अर्धमागधी प्राकृत से पंजाबी भाषा में अनुवाद शुरू किया जिस के माध्यम से जैन साहित्य से लोग परिचित हुए । यह युग की मांग थी जिसे पूरा करना हर धार्मिक मनुष्य के लिए जरूरी है । हमारे अनुवाद का ढंग मिशनरी है। इसका उद्देश्य जैन धर्म का प्रचार प्रसार करना है 1 ६ : स्वर्ण सुधा यह दैनिक प्रयोग में आने वाले प्राकृत पाठों का पंजाबी लिपिअंतर है। इस में अनापूर्वी भी शामिल है 1 172
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy