SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ = વાસ્યા છી ગોર લટકે છ૮મ स्तुती है। इस के रचियता आचार्य सुधर्मा स्वामी हैं। यह संसार की प्रथम स्तुती में है जो छन्द अलंकार के सभी नियमों की कसौटी पर खरी उतरती है। इस में विविध उपमाएं देकर प्रभु की स्तुती की गई है। उन के वीतरागी जीवन की झलक इस स्तुती से मिलती है। सातवें अध्ययन का नाम कुशील है। इस में कुशील का वर्णन है। आठवें अध्ययन का नाम वीर्य है। इस में बताया गया है कि भिक्षु को असंयम का परित्याग कर संयम में पुरुषार्थ करना चाहिए। नौंवा अध्ययन का नाम धर्म है। इस में धर्म पर सुन्दर चिंतन प्रस्तुत किया गया है। दसवें अध्ययन का नाम समाधि है। इस में भाव समाधि पर प्रकाश डाला गया है। ग्यारवें अध्ययन का नाम मार्ग है। इस में सम्यक् ज्ञान-दर्शन-चरित्र व तप पर प्रकाश डाला गया है। वारहवां अध्ययन समोसरण है। इस अध्ययन में अक्रियावादी, अज्ञानवादी विनयवादी और क्रियावादी चार समसरणों का उल्लेख किया गया है। यह उल्लेख भारतीय इतिहास की निधि है। दूसरे दार्शनिकों का आचरण व व्यवहार कैसा था ? इसका सुन्दर चित्रण इस अध्ययन में मिलता है। इन मतों की मान्यताओं का वर्णन है। तेहरवां अध्ययन यथातथ्य है। इस में क्रोध और उस के दुष्परिणामों को वताकर साधु को धर्म के प्रति श्रद्धालु व माया रहित जीवन जीने की प्रेरणा दी गई है। १४वें अध्ययन ग्रंथ में बताया गया है कि साधु को वाह्य और अंतर परिग्रह से युक्त होकर संयम की उतकृष्ट साधना करनी चाहिए। पन्द्रहवें आदान या आदानीय अध्ययन में बताया गया है कि विवेक की तेजस्विता के साथ संयम साधना उत्कृष्ट होनी चाहिए। सोलहवें गाथा अध्ययन 162
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy