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________________ -आस्था की ओर बढ़ते कदम करोड, पांचवे के पास १८ करोड, छटे के पास १८ करोड, सातवें के पास ३ करोड आठवें के पास २० करोड स्वर्ण मुद्राओं का अपार धन था। ___ हर श्रावक ने ११ प्रतिमाओं को धारण किया। सभी श्रावक कृषि योग्य जमीन के स्वामी था। आनद श्रावक के पास ५०० हलों के योग्य कृषि भूमि थी। १५ सौ रथ, पाच माल डुलाई के वाहन थे। ८ किश्तीयां थी। वाकी श्रावकों के पास कितने पशु वाहन थे उनका वर्णन इस शास्त्र में नहीं आया। सद्धाल पुत्र की ५०० दुकानें थी! जहां छोटे वडे वर्तन वेचने के लिए उस ने नौकर रखे थे। इस ग्रंथ का सारा खर्च साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की संसारिक माता दुर्गा देवी (लाहौर) ने किया। इस ग्रंथ का विमोचन एक भव्य समारोह में देहली के, लाल किला के भव्य प्रांगन में हुआ। इस सम्मेलन में विश्व के कोने कोने से विदेशी धार्मिक विद्वान व पत्रकार समिलित हुए। भारत के प्रमुख नेताओं में डा० कर्ण सिंह ८ अल्पसंख्यक आयोग के प्रथः सेयरमैन डा० गोपाल सिंह दर्दी उपस्थित हुए। अनेकों देशी-विदेशी पत्रकार आए थे। इस सम्मेलन के आयोजक विश्वधर्म संगम संस्थापक आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज ने किया था। इस अवसर पर रूहानी सत्संग मिशन के परम संत कृपाल सिंह जी विराजमान थे। सम्मेलन का उद्धार तत्कालिन गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह जी ने किया। उन्होंने जामा मस्जिद से कबूतर छोड़ कर सम्मेलन का उद्घाटन किया। कबूतर शांति का प्रतीक माने जाते हैं। इस ग्रंथ में इंटरनैशनल महावीर जैन मिशन की तत्कालिन सचिव श्रीमती गुरुशक्ति (जैरी) का महत्वपूर्ण संदेश था। प्रस्तावना हमारी थी। यह ग्रंथ उप-प्रवर्तनी साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज को मालेरकोटला में भेंट किया गया। 159
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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